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नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी से लेकर प्राइवेट कंपनीज को एयरपोर्ट का ऑप्र्शन देने तक जानिए क्या-क्या हैं कैबिनेट के अहम फैसले

प्रधानमंत्री की अध्‍यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में आज पांच अहम निर्णय लिए गए, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण निर्णय नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की स्‍थापना का है। इन निर्णयों के बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर और केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने प्रेस वार्ता में जानकारी दी। 

1. नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी 

देश में सरकार की करीब 20 रिक्रूटमेंट एजेंसियां हैं। एक छात्र अगर चार से पांच में भी परीक्षा देता है, तो उसे हर जगह इम्‍तहान देने के लिए बार-बार जाना पड़ता है, बार-बार इम्‍तहान का तनाव होता है। इन सबको खत्‍म करके अब नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (राष्‍ट्रीय भर्ती संस्‍था) का गठन किया जाएगा, जो केवल एक इम्‍तहान लेगी- कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट। इस एजेंसी की मांग देश के युवा कई वर्षों से कर रहे थे। इस एजेंसी के बनने से केवल एक परीक्षा होगी और इससे छात्रों का पैसा बचेगा, मानसिक तनाव नहीं होगा और बार-बार परीक्षा नहीं देनी होगी। 

2. गन्ने का मूल्य निर्धारण 

एक करोड़ गन्ना किसानों के लिए जो लाभकारी मूल्‍य को बढ़ा कर दिया जाएगा। इस साल प्रति कुंतल गन्ना का दाम 285 रुपए यानी 2850 रुपए प्रति टन निश्चित किया गया है। यह दस प्रतिशत रिकवरी के आधार पर तय किए गए हैं। अगर एक प्रतिशत भी रिकवली बढ़ती है तो 28.50 रुपए ज्यादा मिलेंगे। अगर 9.5 या उससे कम प्रतिशत रहता है, तो भी गन्ना किसानों को 270 रुपए 75 पैसे के हिसाब से उनको दाम मिलेंगे। 

3. तीन एयरपोर्ट का ऑपरेशन प्राइवेट कंपनियों को 

देश में 6 प्राइवेट एयरपोर्ट बन चुके हैं। इनमें से तीन पर ऑक्शन हो चुका है, जिसके आधार पर तीन एयरपोर्ट के संचालन एवं विकास की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी को दी जाएगी। इनमें जयपुर, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी को लीज़ पर दिया जाएगा। इससे अपफ्रंट के रूप में सरकार को लगभग 1070 करोड़ रुपए मिलेंगे, जिसका इस्तेमाल छोटे शहरों में एयरपोर्ट के विकास में किया जाएगा। इससे यात्रियों को अच्छी सुविधाएं भी मिलेंगी। ध्‍यान रहे यह परमानेंट नहीं है, 50 साल चलाने के बाद नि‍जी कंपनी उस एयरपोर्ट को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को वापस सौंप देगी। 

4. राज्यों के डिस्‍कॉम को लोन 

कोविड के कारण विद्युत क्षेत्र में ग्राहकों का बिल कम हुआ है, औद्योगिक इकाईयों से भी मांग कम है। इसलिए राज्यों की डिसकॉम दिक्कत में आ गई हैं। उनको राहत देने के लिए पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन और रूरल इलेक्‍ट्र‍िफिकेशन कॉर्पोरेशन को वर्किंग कैपिटल से 25 प्रतिशत अधिक लोन देने का जो अधिकार था, वो इस साल मिलेगा। इस साल उनको ज्यादा लोन की रकम मिलेगी। इससे डिस्कॉम काम कर सकेंगे और बिजली नहीं जाएगी।  

5. सारी एनबीएफसी दे सकेंगी डिस्‍काउंट  

एमएसएमई के बिल का भुगतान 90 दिन के बाद होता है, इसकी वजह से उनकी लिक्व‍िडिटी समस्या में आ जाती है। उनको तुरंत पैसा मिले इसके लिए डिस्‍काउंट की व्‍यवस्‍था ट्रेड्स एक्सचेंज में होती है। इसमें ऐसे प्रावधान किए गए हैं कि अब सारे एनबीएफसी को अनुमति इस सुविधा के लिए दी गई है। पहले कुछ बैंक और एनबीएफसी को ही यह सुविधा मिलती थी। इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कहीं डबल डिस्काउंट‍िंग नहीं हो।

सोर्स – प्रसार भारती

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