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मोदी सरकार ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी को दी मंजूरी, सरकारी नौकरी के लिए देनी होगी अब एक परीक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में आज पांच अहम निर्णय लिए गए, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण निर्णय नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की स्‍थापना का है। इन निर्णयों के बारे में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर और केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह ने प्रेस वार्ता में जानकारी दी। 

देश में सरकार की करीब 20 रिक्रूटमेंट एजेंसियां हैं। एक छात्र अगर चार से पांच में भी परीक्षा देता है, तो उसे हर जगह इम्‍तहान देने के लिए बार-बार जाना पड़ता है, बार-बार इम्‍तहान का तनाव होता है। इन सबको खत्‍म करके अब नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (राष्‍ट्रीय भर्ती संस्‍था) का गठन किया जाएगा, जो केवल एक इम्‍तहान लेगी- कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट। इस एजेंसी की मांग देश के युवा कई वर्षों से कर रहे थे। इस एजेंसी के बनने से केवल एक परीक्षा होगी और इससे छात्रों का पैसा बचेगा, मानसिक तनाव नहीं होगा और बार-बार परीक्षा नहीं देनी होगी। 

प्रेस वार्ता में सचिव सी चंद्रमौली ने नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 

नौकरी उम्मीदवार क्या-क्या झेलते हैं 

1. हर रिक्रूटमेंट का परीक्षा कार्यक्रम अलग-अलग होता है, एप्‍लीकेशन प्रोसेस भी अलग-अलग होते हैं। जब दो-तीन इम्‍तहान कराने होते हैं तो इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की कमी की वजह से कई जगहों पर नकल की संभावना भी बढ़ जाती है। 

2. अलग-अलग रिक्रूटमेंट के लिए अलग-अलग फॉर्म के पैसे देने पड़ते थे। हर फॉर्म के साथ बैंक ऑर्डर, पीओ, डिमांड ड्राफ्ट आदि लगाने के लिए अभ्‍यर्थियों को परेशान होना पड़ता है। 

3. ज्यादातर परीक्षा केंद्र शहरी क्षेत्रों में होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों व छोटे कस्बों के अभ्‍यर्थियों को परीक्षा देने के लिए बार-बार यात्रा करनी पड़ती है। यात्रा ही नहीं बल्कि शहर आने पर होटल में रुकने का खर्च भी अलग से उठाना पड़ता है। 

4. कई परीक्षाओं की तिथियां एक ही दिन पड़ने की वजह से अभ्‍यर्थ‍ियों को एक न एक इम्‍तहान छोड़ना पड़ता है। 

5. इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की कमी भी महसूस होती थी, क्यों कि कुछ ही केंद्रों पर ही परीक्षाएं करायी जा सकती हैं। ऐसे में भीड़ बहुत बढ़ जाती है। 

6. केंद्रों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिला प्रशासन को अलग से अधिकारियों व पुलिस को तैनात करना पड़ता है। बार-बार परीक्षाएं होने से बार-बार इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।  

7. इन सबके कारण खर्च बढ़ने के साथ-साथ रिक्रूटमेंट की प्रक्रिया बहुत लंबी हो जाती है। 

संस्थानों को क्या दिक्कतें होती हैं 

देश में केंद्र सरकार की 20 से अधिक रिक्रूटमेंट एजेंसी हैं। उनमें से 3 के इम्‍तहान नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी करेगी। आगे चलकर बाकी की एजेंसियों को शामिल कर लिया जाएगा। हर एजेंसी अलग-अलग समय पर इम्‍तहान करती है, जिसके लिए संस्‍थानों को बार-बार तैयारी करनी पड़ती है। 

अलग-अलग एजेंसियां अपने ह‍िसाब से प्रश्‍नपत्र बनाती हैं, जिसके कारण कहीं प्रश्‍नपत्र आसान आता है, तो कहीं कठ‍िन आता है। जबकि मकसद सभी का एक ही होता है। परीक्षाओं के लिए केंद्रों की उपलब्‍धता के आधार पर ही तिथियां निर्धारित करनी पड़ती हैं। इंविजिलेशन और सुपरविजन के लिए भी बार-बार स्‍टाफ को बुलाना पड़ता है। एप्‍लीकेशन की प्रोसेसिंग भी अलग-अलग तरह से होने के कारण परीणाम देर से आते हैं। 

हर साल केंद्र सरकार में ग्रुप बी और ग्रुप सी में करीब 1.25 पदों पर भर्ती की जाती है। जिसमें से ढाई से तीन करोड़ लोग इसमें बैठते हैं। ये आंकड़ा तीन रिक्रूटमेंट एजेंसियों का है- रेलवे के लिए आरआरबी, बैंक सेवाओं के लिए आईबीपीएस और बाकी सरकारी कामों के लिए एसएससी है। अब ये ढाई से तीन करोड़ लोग बारी-बारी से तीन इम्‍तहान देते हैं। पहले आरआरबी, फिर एसएससी, और फिर बैंकिंग सेवा। 

नई व्‍यवस्‍था क्या हैं

नई व्‍यवस्था के अंतर्गत इन तीनों संस्‍थाओं के लिए होगा- कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी)। जो भी संस्‍था भर्ती करना चाहती है, वो इस सीएटी में मिलने वाले स्‍कोर को आधार बना सकेंगे। नेशेनल रिक्रूटमेंट एजेंसी एक ऑटोनोमस सोसाइटी होगी, जिसमें तीनों संस्‍थाओं के प्रतिनिधि होंगे। एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के प्रतिनिधि इसकी गवर्निंग बॉडी में होंगे। 

यह संस्‍था ट‍ियर-1 की परीक्षा को कराने का काम करेगी। यह इम्‍तहान पूरी तरह से ऑनलाइन होगी। और उसके स्‍कोर वो तुरंत अभ्‍यर्थी को मिल जाएंगे जिसके आधार पर वो एसएससी, आरआरबी, आदि में अगले लेवल की परीक्षाओं में बैठ सकेंगे। जैसे जैसे यह संस्‍था स्‍थायित्व की ओर बढ़ेगी, वैसे-वैसे अन्‍य परीक्षाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी।

हर जिले में कम से कम एक केंद्र होगा। बड़े जिलों में एक से अधिक केंद्र होंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को लंबी यात्रा नहीं करनी होगी। ये परीक्षा 12 भारतीय भाषाओं में होगी। 

सीईटी पहले लेवल की परीक्षा होगी, जिसके स्कोर तीन साल तक वैलिड होंगे। अपने स्‍कोर को बेहतर बनाने के लिए अभ्‍यर्थी चाहें तो फिर से परीक्षा में बैठ सकेंगे। इसके लिए एक पोर्टल होगा, जिसमें छात्र अपना पंजीकरण कर सकेंगे। फीस भी एक बार देनी होगी। अभ्‍यर्थियों के लिए 24 घंटे संचालित होने वाली हेल्पलाइन होगी। 

नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की स्थापना में अगले तीन वर्ष में कुल खर्च 1517.57 करोड़ खर्च आयेगा। इससे सरकार के हर साल करीब 600 करोड़ रुपए बचेंगे।

सॉर्स – प्रसार भारती

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