झारखंड भी देश के उन राज्यों में शामिल हो गया है जो माल और सेवा कर -जीएसटी से उत्पन्न राजस्व की कमी को दूर करने के लिए विकल्प – एक को अपनाने जा रहे हैं । सभी 28 राज्यों और विधानसभा वाले तीन केन्द्रशासित प्रदेशों ने विकल्प – एक अपनाने का निर्णय लिया है । झारखंड को जी एस टी की वसूली में आई कमी की भरपाई के लिए विशेष ऋण विंडो के माध्यम से एक हजार छह सौ नवासी करोड़ रूपये प्राप्त होंगे । झारखंड को ऋण के माध्यम से अतिरिक्त एक हजार , सात सौ 65 करोड रूपये की उगाही के लिए अनुमति दे दी गई है । केन्द्र सरकार ने जी एस टी के अंतर्गत राजस्व की कमी की भरपाई के लिए विशेष ऋण विंडो की व्यवस्था की है ।
विकल्प -1 की शर्तों के अंतर्गत राज्यों को उनके सकल घरेलू उत्पाद के आधा प्रतिशत के बराबर अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा । यह 17 मई 2020 के आत्मनिर्भर अभियान के अन्तर्गत राज्यों के सकल घरेलू उत्पाद के दो प्रतिशत तक के कर्ज लेने की अनुमति के अतिरिक्त होगा । यह व्यवस्था इस वर्ष 23 अक्टूबर से लागू है । केन्द्र सरकार राज्यों की ओर से पांच किस्तों में तीस हजार करोड रूपये कर्ज ले चुकी है जिसे विकल्प – एक चुनने वाले राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को दिया जा चुका है ।
