देश में हो रहे किसान आंदोलन को लेकर अब विदेशों से समर्थन मिलना शुरू हो गया है । देश और दुनिया के सिख और पंजाबी किसान इस आंदोलन से जुड़ रहे हैं । इससे पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो किसान आंदोलन को लेकर अपना बयान दे चुके हैं तो वहीं अब ब्रिटेन के कुछ सांसदों ने ब्रिटेन सरकार को भारत सरकार से बात करने के लिए कहा है ।
सांसदों ने विदेश सचिव का लिखा पत्र ब्रिटेन के भारतीय मूल और पंजाब से संबंध रखने वाले 36 सांसदों ने किसान कानूनों पर केंद्र सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने की बात कही है । सांसदों ने विदेश सचिव डॉमिनिक रैब को लिखा कि वो किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार से चर्चा करेंगे । इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में लेबर , कंजरवेटिव और स्कॉटिश नेशनल पार्टी के पूर्व श्रम नेता जेरेमी कॉर्बिन , वीरेंद्र शर्मा , सीमा मल्होत्रा , वैलेरी वाज , नादिया व्हिटोम , पीटर बॉटमली , जॉन मैककॉलन , मार्टिन डॉकर्टी – ह्यूजेस और एलिसन थेवलिस शामिल हैं ।
ब्रिटिश सांसद हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन पर टिप्पणी भी कर रहे हैं । बर्मिंघम एजबेस्टन की लेबर सांसद और ब्रिटिश सिखों के लिए ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री पार्टी की अध्यक्ष प्रीत कौर गिल ने दिल्ली के विरोध प्रदर्शन की तस्वीरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की : ” यह उन नागरिकों के साथ व्यवहार करने का कोई तरीका नहीं है जो भारत में विवादास्पद किसान विधेयक पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं ” । वे कहती हैं , ” दिल्ली से चौंकाने वाला दृश्य । किसान शांति से विवादास्पद बिलों का विरोध कर रहे हैं जो उनकी आजीविका को प्रभावित करेंगे । उन्होंने कहा कि वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल उन्हें चुप कराने के लिए किया जा रहा है ।
भारत ने कनाडा को चेताया था
विदेश मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को कनाडा के हाई कमिश्नर को तलब किया गया और बताया गया कि कनाडा के पीएम कुछ कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों भारतीय किसानों पर बयानबाजी हमारे आंतरि अस्वीकार्य हस्तक्षेप है । ‘ विदेश मत्रालय ने यह भी कहा कि यदि यह जारी रहा तो भारत और कनाडा के रिश्तों पर इसके गंभीर परिणाम होंगे । इन बयानों ने कनाडा में हमारे हाई कमीशन और कांसुलेट के सामने चरमपंथी गतिविधियों को बढ़ाया है , जिससे सुरक्षा की चिंता उत्पन्न