अफगानिस्तान इस वक्त बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में अफगानिस्तान के सेना प्रमुख जनरल वली मोहम्मद 27 जुलाई से दो दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। इस दौरान वे भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ मिलेंगे। इस समय अफगानिस्तान की सेना तालिबान से लड़ रही है, जिसने उस देश के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया है।
यह यात्रा विदेश मंत्री एस जयशंकर के उस संवाद के बाद हो रही है, जिसमें कहा गया था कि वहां चल रही उथल-पुथल को दूर करने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। वैसे भारत और अफगानिस्तान के बीच प्रगाढ़ रक्षा संबंध है, भारत ने अफगानिस्तान को एमआई हेलीकॉप्टरों समेत कई तरह की सैन्य मदद दी है। इसके अलावा भारत ने अफगानिस्तान की कई परियोजनाओं में तीन अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है।
राजनयिकों और कर्मियों को भारत बुला चुका है वापस
वहीं अफगानिस्तान में तालिबान के साथ भारी युद्ध की पृष्ठभूमि को देखते हुए, भारत ने पिछले सप्ताह अपने 50 से अधिक राजनयिकों और कर्मियों को कंधार स्थित अपने वाणिज्य दूतावास से निकाला और एहतियात के तौर पर उन्हें वापस दिल्ली लाया गया।
दुशांबे, ताजिकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पिछले सप्ताह भारत के विदेश विदेश मंत्री ने शांति बहाल करने के लिए तीन सूत्री फॉर्मूले का प्रस्ताव दिया था। देश के कई हिस्सों में तालिबान के बढ़ने के साथ, विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ‘हिंसा और बल द्वारा सत्ता के हस्तांरण’ के खिलाफ है और वह ऐसी कार्रवाइयों को वैध नहीं करेगा।