प्रधानमंत्री अपने दो दिवसीय दौरे पर ढाका पहुंच चुके हैं। भाषा, संस्कृति और इतिहास की नींव पर बने 50 साल के भारत-बांग्लादेश के संबंधों में प्रधानमंत्री की यात्रा दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करने में अहम होगी। अपने दौरे पर जहां पीएम कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, वहीं ढाका से करीब 190 किमी दूर ओरकांडी में मतुआ संप्रदाय के मंदिर और 51 शक्तिपीठों में शामिल जशोरेश्वरी काली मंदिर भी जाएंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिनों की बांग्लादेश की यात्रा के दौरान अपने व्यस्त कार्यक्रमों के बीच कुछ मंदिरों का भी दौरा करेंगे। इनमें एक मतुआ संप्रदाय का मंदिर है जो मतुआ संप्रदाय के आस्था का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है।
मतुआ संप्रदाय के मंदिर का इतिहास
बांग्लादेश के ओरकांडी में मतुआ संप्रदाय के संस्थापक हरिचाप ठाकुर का जन्म हुआ था। मतुआ के लोगों का मानना है कि जैसे प्रभु श्री राम की अयोध्या और भगवान कृष्ण की मथुरा है वैसे ही मतुआ संप्रदाय के लोगों के लिए ओरकांडी का ठाकुर नगर है।
मतुआ मंदिर के पुजारी बताते हैं कि जिस जगह पर आज मंदिर बना है एक समय वहां हरिचाप ठाकुर रात के समय में आए। यहीं पर उन्होंने गुरुचंद ठाकुर और उनके छोटे बेटे को अलौकिक तरीके से दिखाया कि उस स्थान पर मंदिर है और उसमें भगवान लक्ष्मी नारायण की मूर्ति स्थापित की गई है और भक्त भगवान की पूजा अर्चना कर रहे हैं। बाद में हरिचाप ठाकुर के उसी वर्णन के अनुसार वहां मंदिर की स्थापना की गई।
19वीं सदी में हुई थी मतुआ संप्रदाय की स्थापना
मतुआ संप्रदाय की स्थापना गुरु हरिचाप ठाकुर ने 19वीं सदी में की थी, उनका मकसद समाज में निचले तबके के शूद्रों को सम्मान और पहचान दिलाने के साथ ही अध्यात्म की ओर आगे बढ़ाना था। मतुआ संप्रदाय के लोग गुरु हरिचाप को भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं। बांग्लादेश बनने के बाद बहुत से मतुआ भारत आ गए। गुरु हरिचाप ठाकुर ने भारत में भी मतुआ संप्रदाय का प्रचार किया।
पीएम मोदी की बांग्लादेश दौरे ओरकांडी जाएंगे और इस पवित्र मंदिर में आकर गुरु हरिचाप ठाकुर का दर्शन करेंगे और पूजा अर्चना करेंगे। इसके बाद मतुआ संप्रदाय के लोगों से मुलाकात करने के साथ ही एक सभा को भी संबोधित करेंगे।
जशोरेश्वरी काली मंदिर में भी करेंगे पूजा-अर्चना
प्रधानमंत्री अपनी यात्रा के दौरान मतुआ संप्रदाय के मंदिर के अलावा जशोरेश्वरी काली मंदिर भी जाएंगे। ये मंदिर देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार भारत और पड़ोसी देशों में कुल 51 शक्तिपीठ हैं जिनमें लोगों की अथाह आस्था है। पीएम मोदी अपने यात्रा के दूसरे दिन की शुरुआत इसी मंदिर से करेंगे।
2015 में बांग्लादेश यात्रा पर भी कई मंदिरों का किया था दौरा
वैसे बांग्लादेश में बड़ी संख्या में हिंदू मंदिर है, ऐसा ही एक मंदिर ढाका में भी है, जिसे रमना मंदिर के नाम से जानते हैं। 1971 की जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना ने इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया था। बाद में इस मंदिर को बगल के प्लॉट में स्थानांतरित किया गया और स्थानीय हिंदू लोगों ने इसका पुनर्निर्माण कराया।
इससे पहले साल 2015 में अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान भी पीएम ने अपने सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती देते हुए मंदिरों का दौरा किया था। उस समय पीएम ने दक्षिणेश्वर मंदिर में मां काली का आशीर्वाद लिया था साथ ही पीएम ने राम कृष्ण मठ का भी दौरा किया था।