आने वाले दिनों में तटीय इलाकों में मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। मौसम विभाग ने अगले तीन-चार दिनों में गुजरात के अलावा महाराष्ट्र और गोवा के तटीय इलाकों से ‘तौकते’ नामक चक्रवात के टकराने की आशंका जताई है।
16 मई तक चक्रवात में बदलने की आशंका
दरअसल, मौसम विभाग के अनुसार, शुक्रवार सुबह दक्षिण-पूर्वी अरब सागर के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की उम्मीद है। यह दक्षिण-पूर्व अरब सागर और निकटवर्ती लक्षद्वीप क्षेत्र में उत्तर-पश्चिम की ओर तेजी से आगे बढ़ने की क्षमता रखता है। इसके कारण, मौसम विभाग ने लक्षद्वीप, केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र में भारी बारिश की आशंका जताई है।
इसके शनिवार को सुबह तक और तीव्र होकर अगले 24 घंटों में चक्रवात में बदलने की संभावना है। इसके बाद चक्रवात गुजरात तट पर पहुंचेगा। 16 मई तक चक्रवात में बदलने की आशंका व्यक्त करते हुए चेतावनी जारी की है।
तटरक्षक बल सहित सभी एजेंसियां हाई अलर्ट पर
इसके अलावा अगले दो दिनों में कर्नाटक में भारी वर्षा और गरज के साथ आंधी आने का अनुमान व्यक्त किया है। मौसम विभाग ने दक्षिण कन्नड़, उडुपी और तटीय उत्तर कन्नड़, बेल्लारी, बेंगलुरू, चामराज नगर, चिक्काबल्लापुर, चित्रदुर्ग, दामनगिरी, हासन, कोडगु, कोलार, मंडया, मैसूरू, रामनगर, शिवमोगा और तुमकुर में आज और शनिवार को भारी वर्षा होने की चेतावनी जारी की है। समुद्र की खराब स्थिति और भारी वर्षा के कारण मछुआरों से समुद्र में मछली पकड़ने के लिए न जाने की सलाह दी गई है। तटरक्षक बल सहित सभी एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं। मौसम विभाग ने कहा कि बारिश के साथ तूफान आ सकता है। हालांकि, वर्तमान में किसी भी तरह की कोई चिंता की स्थिति नहीं है।
चक्रवात का नाम म्यांमार ने दिया
‘तौकते’ का मतलब है अधिक शोर वाली छिपकली। नए तूफान का यह नाम म्यांमार से आया है। दरअसल, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में आने वाले समुद्री तूफानों के नाम रखने का सिलसिला 2004 में शुरू हुआ था। 2004 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन यानी WMO, जो तूफानों का नाम रखती है, उसने सभी देशों से अपने-अपने क्षेत्र में आने वाले चक्रवात का नाम खुद रखने को कहा। जिसके बाद भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका और थाईलैंड देशों ने मिलकर एक बैठक की। इन आठ देशों ने तब 64 नामों की एक सूची बनाई, जो हर देश ने आने वाले चक्रवात के लिए आठ नाम सुझाए थे। सुझावों में भेजे गए प्रत्येक नाम को चक्रवात विशेषज्ञों का एक पैनल ही अंतिम रूप देता है।