बिहार के सबसे डरावनी नदी पर बने कोसी रेल महासेतु का आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्घाटन किया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज इस ऐतिहासिक परियोजना के साथ साथ 12 अन्य रेल परियोजना की सौगात भी दी।
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन बिहार में चलें आ रहे 86 साल के इंतजार को विराम दे दिया है,इसी के साथ साथ आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का इसको लेकर देखा गया सपना भी पूरा हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए कोसी रेल महासेतु का उद्घाटन किया,86 साल से दो भागों में बंटे मिथिलांचल को आज इस रेल परियोजना द्वारा जोड़ा गया।इसके साथ साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अन्य 12 रेल परियोजनाओं की सौगात भी दी।
86 साल का सपना आज पूरा हो गया
आज इस रेल महासेतु के चालू होने पर मिथिलांचल को एक करने का सपना साकार हो जाएगा, आपका बता दें कि निर्मल- सरायगढ़ के बीच एक मीटरगेज लिंक बना था 1887 में,
फिर 1934 में आए एक भूकंप से रेल लिंक टूट गया,तब से रेल सेवा बंद पड़ी थी, इसके लिए200 किलोमीटर अधिक रेलयात्रा करना पड़ता था ।
1 – कोसी रेल महासेतु की कुल लंबाई1.9 किलोमीटर है
2– इसके निर्माण में कुल 516 करोड़ की लागत आई।
3– इस रेल महासेतु के शुरू होने से आस पास के क्षेत्र के लोगों का उत्तरपूर्व क्षेत्रों के लोगों के साथ सम्पर्क काफी आसान हो जाएगा।
4– अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने इस रेल महासेतु के लिए 2002-04 में कोसी मेगा ब्रिज प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी।
5–कोसी रेल महासेतु बनने से नेपाल तक बढ़ेगी पहुंच
12 अन्य रेल परियोजनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेलवे की 12 दूसरी परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे इनमें किउल नदी पर पुल , दो नई रेलवे लाइंस , मुजफ्फरपुर सीतामढ़ी , कटिहार – न्यू जलपाईगुड़ी , समस्तीपुर – दरभंगा जयनगर , समस्तीपुर – खगड़िया और भागलपुर शिवनारायणपुर 5 इलेक्ट्रिफिकेशन प्रोजेक्ट , एक इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव शेड की परियोजना , बारा – बख्तियारपुर के बीच तीसरी रेलवे लाइन परियोजना शामिल हैं .
क्या कहा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कोसी रेल महासेतु उद्घाटन के दौरान कहा कि आज बिहार में किस तेज गति से रेल नेटवर्क पर काम चल रहा है, इसके लिए मैं एक तथ्य देना चाहता हूं।
2014 के पहले के 5 सालों में बिहार में सिर्फ सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन शुरु थी।
जबकि 2014 के बाद के 5 सालों में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर रेल लाइन कमीशन हो चुकी हैं,आज बिहार में 12 हज़ार हॉर्सपावर के सबसे शक्तिशाली विद्युत इंजन बन रहे हैं।
बिहार के लिए एक और बड़ी बात ये है कि आज बिहार में रेल नेटवर्क के लगभग 90% हिस्से का बिजलीकरण पूरा हो चुका है।
बीते 6 साल में ही बिहार में 3 हज़ार किलोमीटर से अधिक के रेलमार्ग का बिजलीकरण हुआ है,4 वर्ष पहले, उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाले दो महासेतु, एक पटना में और दूसरा मुंगेर में शुरु किए गए थे।
इन दोनों रेल पुलों के चालू हो जाने से उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के बीच, लोगों का आना-जाना और आसान हुआ है।
