कोरोना वायरस के कहर के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वैज्ञानिकों ने एक और नये वायरस की खोज की है। कैट क्यू वायरस (CQV) नामक यह वायरस व्यापक स्तर पर फैलने की क्षमता रखता है। ये आर्थ्रोपोड-जनित वायरस की श्रेणी के अंतर्गत आते हैं, जो सूअर और क्यूलेक्स मच्छरों में पाए जाते हैं। चीन और वियतनाम में बड़े पैमाने पर CQV के फैलने की खबरें आयी हैं।
एनआईवी, आईसीएमआर, पुणे के वैज्ञानिकों ने राज्यों में परीक्षण किए गए 883 मानव सीरम सैंपल में से दो सैंपल में वायरस के लिए एंटीबॉडी पाए गए हैं। सैंपल के परीक्षण के बाद माना जा रहा है कि ये दोनों लोग किसी समय CQV से संक्रमित थे।
जानकारी के मुताबिक ICMR ने कहा कि मानव सीरम नमूनों में एंटी-सीवीसी आईजीजी एंटीबॉडी पॉजिटिविटी का परीक्षण किया गया और मच्छरों में सीवीसी की प्रतिकृति क्षमता ने भारत में सीवीसी की संभावित बीमारी का संकेत दिया। इसके कारण, वैज्ञानिकों ने CQV के लिए सीरोलॉजिकल परीक्षण, आबादी की स्क्रीनिंग और मच्छरों में इसकी प्रतिकृति कैनेटीक्स विकसित किए हैं।
भारतीय मच्छरों में इसके व्यवहार को समझने के लिए मच्छरों की तीन अलग-अलग प्रजातियों को लेकर प्रतिकृति कैनेटीक्स और अतिसंवेदनशील प्रयोग किए गए थे। आईसीएमआर अध्ययन से पता चला कि भारतीय मच्छर नस्लों- aegypti, Cx। quinquefasciatus और Cx। Tritaeniorhynchus CQV की चपेट में थे।
CQV वायरस चीन में बड़े पैमाने पर क्यूलेक्स मच्छरों और वियतनाम में सुअरों में पाए गए जाते हैं। घरेलू सुअरों को इस वायरस के फैलने के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार माना जाता है। चीन में सुअरों के भीतर बड़े पैमाने पर इसके खिलाफ एंटीबॉडीज मिल चुके हैं। ये वायरस मच्छरों के जरिए सुअरों और दूसरे जानवरों में फैलता है।
