सूक्ष्म , लघु एवं मध्यम उद्योग ( एमएसएमई ) और व्यक्तिगत उधारकर्ताओं के लिए राहत भरी खबर है । केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह मोरेटोरियम अवधि ( मार्च से अगस्त तक ) के दौरान ब्याज पर ब्याज को माफ करने के लिए तैयार हो गई है । ये राहत दो करोड़ रुपये तक के लोन पर मिल सकती है ।ब्याज माफी एमएसएमई व शैक्षिक , हाउसिंग , कंज्यूमर ड्यूरेबल , ऑटो , क्रेडिट कार्ड बकाया , पेशेवर और उपभोग द्वारा लिए गए कर्ज के लिए लागू होगी । नई केंद्र सरकार ने लोन लेने वालों को बड़ी राहत दी है . सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि एमएसएमई ऋण , शैक्षिक , आवास , उपभोक्ता , ऑटो , क्रेडिट कार्ड बकाया , पेशेवर और उपभोग ऋण पर लागू चक्रवृद्धि ब्याज को माफ किया जाएगा . सरकारी हलफनामे के मुताबिक 6 महीने के लोन मोरेटोरियम समय में दो करोड़ रुपये तक के लोन के ब्याज पर ब्याज की छूट देगी . केंद्र ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी की स्थिति में , ब्याज की छूट का भार वहन सरकार करे यही केवल समाधान है . इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कहा है कि उपयुक्त अनुदान के लिए संसद से अनुमति मांगी जाएगी .
केंद्र ने पैनल की सिफारिशों के बाद ब्याज माफ नहीं करने के रुख को बदल दिया है . सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को उधारकर्ताओं की मदद करने के निर्देश के बाद Ex CAG राजीव महर्षि की अध्यक्षता में एक पैनल गठित किया गया था . केंद्र सरकार ने कोर्ट में पहले कहा था कि वह ब्याज माफ नहीं कर सकता है और यह बैंकों को प्रभावित करेगा . अब मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी .
पांच अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान ऋण के ब्याज पर ब्याज लेने के खिलाफ दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई पांच अक्तूबर यानी सोमवार के लिए स्थगित की थी । पिछली सुनवाई के दौरान वरिष्ठ एडवोकेट राजीव दत्ता ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है । इसलिए केंद्र को विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस योजना पेश करने को कहा गया था ।
तुषार मेहता ने अपनी दलील पेश की , जबकि इंडियन बैंक एसोसिएशन की तरफ से हरीश साल्वे मामले की पैरवी कर रहे हैं . पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस फैसले से लोन लेने वालों पर दोहरी मार पड़ रही है क्योंकि उनसे चक्रवृद्धि ब्याज यानी कंपाउंडिंग इंट्रस्ट ( Compounding Interest ) लिया जा रहा है . याचिकाकर्ता ने कहा यह योजना दोगुनी मार है क्योंकि वे हमें चक्रवृद्धि ब्याज चार्ज किया जा रहा है . ब्याज पर ब्याज वसूलने के लिए बैंक इसे डिफॉल्ट मान रहे हैं . यह हमारी ओर से डिफ़ॉल्ट नहीं है . सभी सेक्टर बैठ गए हैं लेकिन RBI चाहता है कि बैंक कोविड -19 के दौरान मुनाफा कमाए और यह अनसुना है ।
