लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच गतिरोध जारी है। दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की वार्ता का अब तक कोई हल नहीं निकल सका है। इस बीच भारत ने कहा है कि वो शांति और स्थायित्व चाहता है।
भारत ने कहा है कि पिछले चार महीनों से सीमावर्ती क्षेत्रों में जारी स्थिति चीन की गतिविधियों का परिणाम है, जो एक तरफा यथास्थिति को बदलने का दुष्प्रयास कर रहा है। भारत ने चीन से अपील की है कि वह इन क्षेत्रों में तेजी से शांति बहाल करने के भारतीय प्रयासों में ईमानदारी से सहयोग करे। भारत ने चीन को सेनाएं पीछे हटाने और तनाव पैदा करने वाली गतिविधियों को नहीं करने का सुझाव दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि समस्याओं का समाधान राजनीतिक और सैन्य माध्यमों से बातचीत के जरिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत सभी मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए करने के लिए वचनबद्ध है। उन्होंने कहा कि चीन की गतिविधियों से द्विपक्षीय समझौतों और वायदों का उल्लंघन हुआ है।
अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इन समझौतों की बदौलत करीब तीन दशक से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनी हुई थी। अनुराग श्रीवास्तव ने कहाकि ग्राउंड कमाण्डर स्थिति के समाधान के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं। उन्होंने दोनों देशों के विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति की याद दिलायी। इसमें कहा गया था कि दोनों देशों को सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थिति से निपटने के लिए जिम्मेदारी से काम करना चाहिए और उकसाने वाली कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।
वहीं इस बीच बीच प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि भारत अपनी सीमाओं पर शांति और स्थायित्व चाहता है। अमेरिका भारत रणनीतिक साझेदारी फोरम में जनरल रावत ने कहा कि चीन के उकसाने वाले प्रयासों के बावजूद भारत ने इन प्रयासों को रोकने और नियंत्रित करने के समुचित उपाय किए हैं। जनरल रावत ने कहा कि भारत और अमेरिका ने बहुत से रक्षा समझौते किए हैं और निकट भविष्य में इस तरह के कई समझौते किए जा सकते हैं।
उन्होंने आशा जतायी है कि दोनों देशों के बीच बेहतर रणनीतिक समन्वय स्थापित होगा। जनरल रावत ने सशस्त्र सेनाओं से किसी भी तात्कालिक खतरे से निपटने के लिए मुस्तैद रहने और भविष्य को देखते हुए तैयार रहने को कहा। उन्होंने कहा कि देश की सीमा पर तैनात जवानों को कोविड संक्रमण से मुक्त रखने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं।
सीमा पर तनाव थल सेना प्रमुख का दौरा
इससे पहले सीमा पर तनाव के बीच थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे, लद्दाख के दो दिन के दौरे पर लेह पहुंचे। पूर्वी लद्दाख में पेंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर चीन की सेना के साथ भारतीय सेना की ताजा झ़ड़प के बाद सेना प्रमुख वहां गये हैं। 29 और 30 अगस्त की रात को भारतीय सेना ने चीन की सेना की घुसपैठ की कोशिश को विफल कर दिया था। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच चुशुल सीमा पर 31 अगस्त से तीन दिन तक ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत हुई।
इस मुद्दे का समाधान कर पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में शांति बहाल करने के प्रयास जारी है। इस घटना के मद्देनजर जनरल नरवणे का यह दौरा बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वे लेह पहुंचने के तुरंत बाद अग्रिम चौकियों पर गये। वे वहां मौजूद सुरक्षाबलों के साथ तैयारियों की समीक्षा की।
