घरेलू रक्षा उद्योग पर वित्तीय बोझ कम करने के लिए बैंक गारंटी की आवश्यकता खत्म करने के साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया में कई संशोधन किये गए हैं।
‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा देने के लिए डीएसी-2020 में किए गए कई संशोधन
इसके लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने भी मंजूरी दी है। अब तीनों सेनाओं और भारतीय तटरक्षक बल के आधुनिकीकरण के लिए जरूरत के मुताबिक घरेलू रक्षा उद्योग से ही खरीद की जा सकेगी। विदेशी उद्योग से आयात डीएसी या रक्षा मंत्री के अनुमोदन पर ही किया जा सकेगा।
वित्त मंत्रालय की सलाह पर भारतीय रक्षा उद्योग पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए इंटीग्रिटी पैक्ट बैंक गारंटी (आईपीबीजी) की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। इसके बजाय स्वीकृति की आवश्यकता (एओएन) की लागत 100 करोड़ रुपए से अधिक के सभी अधिग्रहण मामलों के लिए बयाना राशि जमा (ईएमडी) को बोली सुरक्षा के रूप में लिया जाएगा।
ईएमडी चयनित विक्रेता के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने तक मान्य होगी और चयन की घोषणा के बाद शेष विक्रेताओं को वापस कर दी जाएगी। इसके अलावा भारत सरकार की मौजूदा नीति के अनुसार सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) से बयाना राशि नहीं ली जाएगी।
आधुनिकीकरण के लिए घरेलू रक्षा उद्योग से ही होगी खरीद
रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा है कि स्वदेशी रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए कुल ऑर्डर को शॉर्टलिस्ट किए गए विक्रेताओं के बीच विभाजित किया जाएगा। इसके अलावा तकनीकी रूप से योग्य बोलीदाताओं के साथ किसी भी कारण से अनुबंध न किए जाने के बावजूद उन्हें एक प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
इससे यह पता चलेगा कि उनके उत्पाद का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है और उन्हें अन्य ग्राहक तलाशने में आसानी हो सकेगी। डीएपी-2020 की आईडीईएक्स प्रक्रिया के तहत खरीद प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। इस सरलीकरण के साथ एओएन के अनुदान से अनुबंध पर हस्ताक्षर करने में लगने वाला समय घटकर 22 सप्ताह हो जाएगा।
