जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटने के बाद अब केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा सीधे किसानों तक पहुंच रहा है। जी हां, क्योंकि अब यहां किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
जम्मू-कश्मीर में किसानों तक केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हर किसान तक पहुंचे इसके लिए जिला प्रशासन विशेष अभियान चलाकर किसानों की मदद करने में जुटी है। इसी का नतीजा है कि यहां के कई किसान आज समेकित खेती यानी इंटीग्रेटेड फार्मिंग कर लाखों रुपये कमा रहे हैं।
रियासी के कोटली बजाला गांव के निवासी रमेश चंद्र चौधरी जो पहले पेशे से कारपेंटर थे अब इंटीग्रेटेड फार्मिंग करते हैं। रमेश चंद्र चौधरी को रियासी जिले के सर्वश्रेष्ठ किसान का खिताब लगातार दो साल से मिल रहा है।
आज रमेश चंद्र चौधरी के पास खेती-बाड़ी से संबंधित सभी उपकरण सरकार की मदद से उपलब्ध हैं। चाहे वो चाफ कटर हो, स्प्रिंगलर सेट हो या बायो गैस या फिर पावर ट्रेलर या सिंचाई के लिए पंप सेट। जैविक खेती के लिए रमेश चंद्र खुद ही वर्मी कम्पोस्ट का भी उत्पादन करते हैं। इनका मानना है कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा सीधे किसानों तक पहुंच रहा है।
दरअसल इंटीग्रेटेड फार्मिंग यानी समेकित खेती बाड़ी जम्मू-कश्मीर में किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रही है जहां एक ही जगह पर फसल उत्पादन, मवेशी पालन, फल-सब्जी उत्पादन, वानिकी इत्यादि के जरिये यहां के किसानों की आमदनी में लगातार इज़ाफा हो रहा है।
केंद्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित उपकरणों, खाद व बीज पर दी जा रही सब्सिडी के कारण अब ये किसान एक ही खेत में कई फल सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। ऐसा यहां पहले कभी मुमकिन नहीं हुआ करता था।
मोदी सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के मद्देनज़र जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के कई किसानों का इंटीग्रेटेड फार्मिंग को लेकर नज़रिया बदला है।
