जन्म से ही मनुष्य के जीवन में नैतिक शिक्षा के संस्कार पनपने लगते है । अगर बात करे तो बच्चो को नैतिक शिक्षा और नैतिक मूल्यों की पहचान सबसे पहले घर से ही होती है जो कि वह अपने माता पिता से सीखते है । परचीन काल में राजा महाराजा अपने बच्चो को नैतिक शिक्षा के लिए गुरुकुल में भेजते थे।
आज के बच्चो में तो नैतिक शिक्षा की कमी है ही बात करें बड़ो की उनमें भी यह गुण लुप्त होते दिखाई दे रहे है ।
बचपन में हम राजा महाराजो, जादूगर , परियों की अपने दादा दादी से कहानियां सुनते आए है । उन कहानियों में कोई न कोई सिख छुपी रहती थी। उनकी कहानियों तो कहा याद होगी लेकिन कहानियों में छुपी सीख तो समय- समय पर हमे सही रास्ता दिखती है ।
नैतिक शिक्षा एवं मोबाइल फोन
आज कल देश में असंतोष ,अशांति का मात्रा बढ़ रही है , आज का युवा भ्रमित हो रहा है और समाज में इतनी सामाजिक बुराई बढ़ रही है इन सब का एक मुख्य कारण मोबाइल फोन भी है आज के समय में बच्चे, बड़े सब मोबाइल फोन में इस तरह खो गए है कि उनके जीवन से नैतिकता का पतन हो गया है । पहले समय में लोग परिवार के साथ मिल कर बैठते थे ,बातें करते थे , दुख दर्द बांटते थे लेकिन आज के समय में परिवार की जगह मोबाइल फोन ने ले ली है ।
जरूरत से ज्यादा समय फोन में रहना बच्चो की जिंदगी में बुरा प्रभाव डालता है। आज के समय में 4-5 साल के बच्चे के हाथ में फोन पकड़ा दिया जाता है जो को बहुत ही गलत है । इससे बच्चो के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है । क्योंकि वे समय बच्चो को अच्छी बाते सीखना के होता है । बच्चो में नैतिकता की कमी का कारण माता पिता है । क्योंकि जो समय बच्चो को सही शिक्षा देने का होता है वो समय वह अपने काम को देते है बच्चो पर ध्यान नहीं देते । बच्चे जो देखता है वही सीखते है ।
बच्चों को नैतिकता सिखाने में परिवार के विभिन्न सदस्यों और शिक्षकों की अहम् भूमिका होती है। बच्चा पहले परिवार से शिक्षा लाभ करता है। इसलिए परिवार को बच्चे का पहला स्कूल कहा जाता है ।माता-पिता उसके पहले शिक्षक हैं. उनका चरित्र बच्चे के जीवन गठन में मदद करता है.
बच्चो की बात तो ठीक है लेकिन आज कल बड़ो को भी नैतिक शिक्षा की जरूरत है । देश में इतनी सामाजिक बुराइयां बढ़ गई है। आज के इंसान में बदले की भावना बढ़ गई है । जोकि आने वाले समय में देश के लिए हानिकारक साबित होगा। यह सब टेक्नोलेजी का गलत तरीके से इस्तमाल है । हम टेक्नोलेजी का ज़रूरत से ज़्यादा गलत इस्तमाल कर रहे है। जोकि हमारे लिए और समाज के लिए गलत है ।
मानते है जिंदगी में मोबाइल फोन की बहुत महता है। क्योंकि आज की रोजमर्रा की ज़िंदगी में मोबाइल बहुत अहम भूमिका निभा रहा है । लेकिन मोबाइल का इस्तमाल अगर काम तक करें तो यह बहुत अच्छा साबित होगा । अगर साइंस ने हमें टेकोनॉलेजी की देन दी है यह हम पर है कि हमे इसका प्रयोग किस तरीके से करना है । मोबाइल में बहुत सी गलत चीज़ सामने आती है यह हम पर है कि हमें उसे किस नजर से देखना है।
नैतिक मूल्य क्या है
नैतिक शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से लोग दूसरों में नैतिक मूल्यों का संचार करते हैं।
बचपन की बात करे तो हम अपने दादा दादी से कहानियां सुनते आए है । उन कहानियों में कोई न कोई सिख छुपी रहती थी। उनकी कहानियों तो कहा याद होगी लेकिन कहानियों में छुपी सीख तो समय- समय पर हमे सही रास्ता दिखती है ।
नैतिक मूल्य जीवन में व्यक्ति को सही और गलत की पहचान करना सीखते है । यह जीवन में बड़ो का सम्मान करना , सबसे से प्यार करना, सबकी मदद करना, नैतिकता, ईमानदारी जैसे मूल्य हमे अच्छा इंसान बनने में मदद करते है ।
अगर बात करे आज के समय की जीवन शैली की तो मनुष्य की जीवन शैली में बहुत परिवर्तन देखने को मिला है । मनुष्य के रहन सहन, खान पान, भाषा, व्यवहार, विचारों में बदलाव देखने को मिला है ।
बच्चों को नैतिकता सिखाने में परिवार के विभिन्न सदस्यों और शिक्षकों की अहम् भूमिका होती है। बच्चा पहले परिवार से शिक्षा लाभ करता है। इसलिए परिवार को बच्चे का पहला स्कूल कहा जाता है ।माता-पिता उसके पहले शिक्षक हैं. उनका चरित्र बच्चे के जीवन गठन में मदद करता है।
लेख – दृति सूरी
(दृति ने फ़ोटो पत्रकारिता किया हुआ है और वह राजनीतिक, फिल्म जगत में गहन रुचि रखती है और उनके उपर टिप्पणियां करती है)
