आज जहां पूरी दुनिया कोरोनावायरस के कहर से धीरे धीरे उभर रही है लोगों को वैक्सीन आने के इंतजार ने यह आशा दिया है कि आने वाले समय में फिर से वह सम्मान जिंदगी में लौट सकते हैं जहां से वो यहां तक आए हैं,वो इस डिजीटल दौर से समान्य दौर में लौटने का इंतजार कर रहे हैं इसी बीच कुछ अच्छी खबरें आ रही है जो उनके हौसले को बुलंद कर रही है और कुछ ऐसी खबरें आ रही है जो कही ना कही उनके हौसले को गिराने का काम कर रही है उनमें से एक यह है कि जो कोरोनावायरस का नया रूप आ रहा है वह हमारे लिए कितना ख़तरनाक हो सकता है ,जो वैक्सीन आ रही है वह हमारे लिए कितना फायदेमंद है और हम कब तक कोरोनावायरस के इस महामारी से पूर्णतः छुटकारा पा भी सकेंगे या नहीं इन्ही सब बात को सोचते विचारते हुए पूरे नौ महीने खत्म होने वाले हैं।
आज का दौर पूरी तरह डिजिटल हो चुका है बड़ी बड़ी कम्पनियां भी अब अपने कर्मचारियों को घर से वर्क फ्राम होम करने को कह रही है और बदले में उनका जमकर शोषण किया जा रहा है आठ आठ घंटे की नौकरियों वाले कर्मचारियों से बारह बारह घंटे काम लिया जा रहा है सिर्फ इस नाम पर कि आप तो घर पर बैठे हैं और आप घर पर बैठ कर इतना तो कर ही सकते हैं और इसके बदले उनके सैलरी को कम कर दिया गया है और कुछ को नौकरी से यह कहकर निकाल दिया गया है कि हमारे पास आपके लिए कोई काम नहीं है आप दूसरी जगह देख लीजिए अब सरकार भी इस पर आंख बंद करके कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
बात करते हैं मौजूदा हालात के डिजिटल शिक्षा की , क्योंकि कोरोनावायरस ने जब भारत में मार्च में अपना विकराल रूप धारण किया तो भारत की सारी व्यवस्थाएं पूरी तरह बैठ गई सरकार ने लोगों को कोरोनावायरस से बचाने के लिए लाकडाउन लगा दिया और कहा कि आप अपने घर में सुरक्षित रहे और अपना काम अपने घरों से करें इसमें बच्चों के पढ़ाई भी शामिल थे क्योंकि जब सब कुछ बंद हो गया तो स्कूल कालेज भी अचानक बंद हो गया और बच्चों से बोला गया कि आप घर पर ही अपने अध्ययन को आगे जारी रखें धीरे धीरे समय बीतता गया समान्य जीवन कुछ कुछ चलने लगें लेकिन बच्चों के (कुछ जरूरी को छोड़कर) बाकी को आनलाइन ही रखने का फैसला लिया गया जो कि परिस्थितियों के अनुसार पूर्णतः सही था क्योंकि जिस तरह कोरोनावायरस का कहर है ऐसे समय में शिक्षा व्यवस्था को पूर्णतः आफलाइन करना कही ना कही एक बड़े ख़तरे को निमंत्रण देने जैसा था और सरकार यह कभी नहीं करना चाहती, लेकिन भारत जैसे देश में जहां इंटरनेट सुविधा पूरे देश में एक जैस नहीं है वहां पर आनलाइन पढ़ाई एक बहुत बड़ी चुनौती है अगर शहरों को छोड़ दिया जाएं तो गांवों के बच्चों को आनलाइन पढ़ाई जारी रखने के लिए बहुत सारे कठिनाई का सामना करना पड़ा उन्होंने दूर के इलाकों में जाकर पढ़ाई करनी पड़ी और यह सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि अध्ययन कराने वाले शिक्षकों के लिए भी एक बहुत बड़ी चुनौती है कि वह अपने जानकारी को आनलाइन माध्यम से बच्चों के बीच में कैसे रखें कि सबको समझ में आ जाए :
आनलाइन पढ़ाई के कुछ फ़ायदे—-
आनलाइन पढ़ाई में बच्चों को शिक्षकों से ज्यादा भय नहीं रहता है तो वो अपने बातों को खुलकर शिक्षकों के सामने रख सकते हैं।
आनलाइन पढ़ाई में बच्चों के पास समय का बचत होता है जिससे वो ज्यादा समय अपने खुद के अध्ययन को दे सकते हैं।
आनलाइन पढ़ाई कही ना कही बच्चों को भविष्य में आनलाइन तकनीक से वाकिफ करा रही है और बच्चों में डिजिटल क्रांति को लेकर नई चेतना का विकास हो रहा है।
आनलाइन अध्धयन कराने वाले शिक्षक उस थोड़े से समय में सभी बच्चों के बातों को सुन पाते हैं और उसका समाधान करने की कोशिश करते हैं
आनलाइन पढ़ाई के नुक़सान—
आनलाइन पढ़ाई करते समय बच्चों के अंदर शिक्षकों का भय नहीं रहता है तो वो पढ़ाई को सीरियस नहीं लेते हैं।
आनलाइन पढ़ाई में समय का कोई निश्चित रूप नहीं होता है बीच बीच में तकनीक खामियां भी शिक्षा को बाधित करने का काम करतीं हैं।
आनलाइन पढ़ाई में मोबाइल फोन या अन्य डिबाइस का जिसका इस्तेमाल बच्चे करते हैं उनके द्वारा उसके ग़लत इस्तेमाल का चांस बहुत ज्यादा होता है और बच्चों में गलत लत भी लग सकता है।
आनलाइन पढ़ाई में शिक्षक बच्चों को अपना शौ प्रतिशत नहीं दे पाता है और वह बच्चों को वह नहीं बता पाता है जो वह बताना चाहता है।
इन सबके अलावा अन्य बहुत कारण है लेकिन मौजूदा हालात में आनलाइन अध्ययन के आलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
संपादक-
आकाश पांडेय
आकाश पांडेय महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में मास कम्युनिकेशन प्रथम वर्ष केेेे छात्र हैं
