इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ , चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो , रहने का अधिकार है । यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का मूल तत्व है । कोर्ट ने कहा की हम यह समझने में नाकाम हैं कि जब कानून दो व्यक्तियों को चाहे वह समान लिंग के ही क्यों ना हों , शांतिपूर्वक साथ रहने की अनुमति देता है तो किसी को भी चाहे वह कोई व्यक्ति , परिवार अथवा राज्य ही क्यों ना हो , उनके रिश्ते पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है ।
दो व्यक्ति जो अपनी स्वतंत्र इच्छा से साथ रह रहे हैं , उस पर आपत्ति करने का किसी को अधिकार नहीं है । कोर्ट ने हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ द्वारा प्रियांशी उर्फ समरीन और नूरजहां बेगम उर्फ अंजली मिश्रा के केस में दिए गए फैसलों से असहमति जताते हुए कहा कि इन दोनों मामलों में दो वयस्क लोगों द्वारा अपनी मर्जी से अपना साथी चुनने और उसके साथ रहने की स्वतंत्रता के अधिकार पर विचार नहीं किया गया है । कोर्ट ने कहा कि यह फैसले सही कानून नहीं हैं ।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि दोनों बालिग हैं और 19 अक्टूबर 2019 को उन्होंने मुस्लिम रीति रिवाज से निकाह किया है । इसके बाद प्रियंका ने इस्लाम को स्वीकार कर लिया है और एक साल से दोनों पति – पत्नी की तरह रह रहे हैं । प्रियंका के पिता ने इस रिश्ते का विरोध करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है , जिसके खिलाफ उन्होंने याचिका दाखिल की थी । याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना प्रतिबंधित है और ऐसे विवाह की कानून में मान्यता नहीं है । खंडपीठ ने कहा कि हम याचियों को हिंदू व मुस्लिम की नजर से नहीं देखते । ये दो बालिग हैं जो अपनी मर्जी और पसंद से एक वर्ष से साथ रह रहे हैं ।
