भारत और चीन एलएसी पर अब और अधिक सैनिकों को ना भेजने पर राजी हो गए हैं . दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स के बीच 14 घंटे तक चली मीटिंग के बाद मंगलवार को भारत और चीन ने साझा प्रेस रिलीज कर इस बात की घोषणा की . सोमवार को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी . करीब 14 घंटे तक ये बैठक चली थी . बैठक खत्म होने के 22 घंटे बाद दोनों देशों ने ये साझा प्रेस रिलीज जारी की . भारत के रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर से प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि ” दोनों पक्ष फ्रंटलाइन पर और अधिक सैनिक ना भेजने के लिए निर्णय लिया गया है,21 सितंबर यानि सोमवार को भारतीय और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच छठी दौर की बैठक एलएसी पर चीन कै मोल्डो गैरिसन में आयोजित की गई थी . इस मीटिंग में भारत की तरफ से दो लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों ने हिस्सा लिया था . वो इसलिए क्योंकि लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर , लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का कार्यकाल अगले महीने खत्म होने जा रहा है . इसलिए उनके साथ लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन ने भी हिस्सा लिया था .।
दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत जारी करने को लेकर सहमति बनी
इससे पहले , सोमवार को हुई बैठक में पहली बार इसमें विदेश मंत्रालय के अफसर भी शामिल हुए । 13 घंटे तक चली बातचीत में भारत ने चीन से कहा कि वह पूर्वी लद्दाख में उन पोजिशन पर वापस जाए , जो अप्रैल – मई 2020 के पहले थीं । इसके लिए डेडलाइन तय हो । बैठक में दोनों देशों के बीच तनाव को दूर करने के लिए सातवें राउंड की बैठक को लेकर भी सहमति बनी ।
चीन ने पैन्गॉग त्सो के दक्षिणी इलाके को खाली करने को कहा चीन ने कहा , ‘ भारत को पैन्गॉग त्सो के दक्षिणी इलाके की उन पोजिशन को खाली करना चाहिए , जिन पर 29 अगस्त के बाद कब्जा किया है । ‘ उधर , भारत ने भी अप्रैल – मई 2020 के पहले की स्थिति को बहाल करने पर जोर दिया । मीटिंग का एजेंडा पहले तय किया गया था कॉर्स कमांडर्स की बैठक के पहले भारत ने मीटिंग का एजेंडा और मुद्दे पहले तय कर लिए थे । इन पर पिछले हफ्ते एक हाई – लेवल की मीटिंग में चर्चा हुई थी । इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल , सीडीएस जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकंद नरवणे शामिल हुए थे ।
