आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत अब पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान का खुद निर्माण करेगा। मौजूदा समय में फ्रांस से मिल रहे राफेल फाइटर जेट 4.5 जनरेशन के हैं, जबकि अमेरिका, रूस और फ्रांस ने इससे अगली पीढ़ी के विमान विकसित कर लिए हैं। इसलिए अब भारत ने विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने के साथ ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ ओर ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को बढ़ावा देते हुए पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट का निर्माण खुद ही करने का फैसला लिया है। इसके लिए तीन साल से लंबित योजना को आगे बढ़ाने पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया गया है। इसके लिए एएमसीए की विस्तृत डिजाइन फाइनल कर ली गई है और अब बेहतर इंजन की तलाश की जा रही है।
पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान खुद बनायेगा भारत
फ्रांस के साथ 2016 में 4.5 जनरेशन के 36 राफेल विमानों का सौदा करने के बाद भारत ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) बनाने के लिए रूस के साथ काम करने का फैसला किया था। इस योजना के तहत भारतीय वायु सेना के लिए रूसी विमान सुखोई-57 पर आधारित पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान तैयार करना था। इसमें सुखोई-57 में उन्नत सेंसर, नेटवर्किंग और लड़ाकू एवियोनिक्स समेत कुल 43 बदलाव किये जाने थे। 2017 में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने और विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करने के इरादे से इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। अब भारत ने विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने के साथ ही ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को बढ़ावा देते हुए पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट का निर्माण खुद ही करने का फैसला लिया है। इसलिए तीन साल से लंबित योजना को आगे बढ़ाने पर तेजी से काम करना शुरू कर दिया गया है।
इन कंपनियों को दी गई है जिम्मेदारी
एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने का एक भारतीय कार्यक्रम है। एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) और एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर (एआरडीसी) इस लड़ाकू विमान की डिजाइन तैयार कर रहे हैं, जबकि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) इस डिजाइन के आधार पर विमान का निर्माण करेगा। स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस की डिजाइन भी एडीए ने ही बनाई है। इसलिए उसे ही पांचवीं पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट की डिजाइन बनाने की जिम्मेदारी दी गई। प्रारंभिक डिजाइन पर अध्ययन पूरा होने के बाद फरवरी 2019 में विस्तृत डिजाइन भी फाइनल हो गई है। विमान का एक सीएडी मॉडल एयरो इंडिया-2019 में दिखाया गया था।
क्या होगी खासियत
पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी फाइटर जेट हवाई श्रेष्ठता, जमीनी हमला, बमबारी, अवरोधन के अलावा अन्य प्रकार की भूमिकाएं निभाएगा। यह सुपरक्रूज, स्टील्थ, उन्नत एईएसए राडार, सुपर मूनवेबिलिटी, डेटा फ्यूजन और उन्नत एविओनिक्स को कई जमीन और समुद्री बचाव के साथ पिछली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को मात देने में सक्षम होगा। यह वायु सेना में एचएएल तेजस, सुखोई-30 एमकेआई और राफेल और नौसेना के एचएएल नवल तेजस और मिग-29 की जगह लेगा। स्वदेशी फाइटर जेट को भारतीय वायु सेना में जगुआर, मिराज 2000 और मिग-27 का उत्तराधिकारी बनाने का इरादा है। यह एचएएल मारुत और एचएएल तेजस के बाद भारतीय मूल का तीसरा सुपरसोनिक जेट होगा।
भारतीय वायु सेना और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी के मुताबिक भारत के पहले 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए ऐसे इंजन की आवश्यकता है, जिसमें 6वीं पीढ़ी के मानव रहित और मानव रहित कार्यक्रमों में उपयोग की भावी विकास क्षमता हो। इसके लिए भारत किसी ब्रिटिश कंपनी के साथ बातचीत कर रहा है। कंपनी ने संयुक्त रूप से एक नया इंजन विकसित करने का वादा किया है, जो अमेरिकी स्टील्थ विमानों के इंजन ईजे-200 पर आधारित नहीं होगा। योजना के मुताबिक यह सिंगल सीट और ट्विन-इंजन वाला हर मौसम में इस्तेमाल करने लायक बहुउद्देशीय फाइटर एयरक्राफ्ट होगा। भारत के पहले पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को 2024 में लांच किए जाने की योजना है। शुरू में कुल चार प्रोटोटाइप की योजना बनाई गई है, जिसकी पहली उड़ान 2025 या 2026 में होने और इसके बाद 2029 में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भी सोमवार को सालाना प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हमने स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के विमान में अपना विश्वास रखा है। यह एक दशक के बाद हमारा मुख्य आधार होगा। एएमसीए में छठी पीढ़ी की विशेषताएं होंगी। एयर मार्शल संदीप सिंह ने भी कहा कि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट को इस दशक के अंत तक वायुसेना के बड़े में शामिल करने की योजना है।
इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार
