देश के पांच राज्यों के सहयोग से प्रदूषण रोकथाम से जुड़ी परियोजना की समीक्षा के लिए 1 अक्टूबर को एक बैठक का आयोजन किया जाएगा। ये परियोजनाएं 2016 में शुरू हुई थीं। यह जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि प्रदूषण की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है।
मंगलवार को एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने कहा कि प्रदूषण की रोकथाम को लेकर राज्यों के साथ होने जा रही इस बैठक में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्री भी शामिल होंगे। बैठक में बीते 2 साल में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर जो कामकाज हुआ है उनकी समीक्षा की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में ठंड में प्रदूषण से स्थिति बिगड़ती है, प्रदूषण का सामना कैसे करें इस पर 2016 से काम शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर अक्टूबर की 15 तारीख से पंजाब और हरियाणा में जलाई जाने वाली पराली से प्रदूषण की स्थिति बिगड़ जाती है। इस प्रदूषण की समस्या का समाधान निकालने के लिए बैठक बुलाई गई है। इस संबंध में पांच राज्यों के सहयोग से प्रदूषण का समाधान करने के लिए साल 2016 में प्रयास शुरू किया गया था।
उन्होंने बताया कि साल 2016 में प्रधानमंत्री ने नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स लॉन्च किया। पहले समस्या को मानने की आवश्कता है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में कैबिनेट सेक्रेटरी की बैठक हुई, प्रिंसीपल सेक्रटरी की अध्यक्षता में बैठक हुई, पर्यावरण सचिव ने दो बैठकें की और सीपीसीबी ने 4 बैठकें की। इसके साथ सभी राज्यों से बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के प्रयासों से वाहन प्रदूषण में कमी आई है। इस तरह से केन्द्र ने अपना काम किया है। राज्यों को भी ठोस कदम उठाने की जरुरत है। इसलिए इसमें बिना राजनीति के प्रदूषण से लोगों को राहत देने के लिए सभी को साथ आना चाहिए।
दरअसल यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाये जाने की वजह से हर साल सर्दियों के मौसम में राजधानी को स्मॉग की चादर ढक लेती है। इस वजह से प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि लोगों को सांस लेना मुहाल हो जाता है। इसके अलावा औद्योगिक इकाइयों से उठने वाला वायु प्रदूषण भी दिल्ली की हवा को प्रभवित करता है।
