जिसका हिंद महासागर पर नियंत्रण है, उसी का एशिया पर प्रभुत्व है। 20वीं सदी में यह महासागर सातों समुद्रों का आधारभूत है। विश्व की भवितव्यता (भविष्य में निश्चित घटित होने वाली घटना) का निर्णय इसके जल तल पर होगा।” अल्फ्रेड थेयर महान ने हिंद महासागर क्षेत्र के महत्त्व को इन शब्दों में बयान किया था। थेयर के इस कथन से न केवल हिंद महासागर के ऐतिहासिक महत्त्व का पता चलता है बल्कि उसके भू-राजनीतिक महत्त्व का भी पता चलता है। शायद इसी कारण आज भी हिंद महासागर में महाशक्तियों के बीच अपना आधिपत्य जमाने की होड़ लगी हुई है।
हिन्द महासागर जिसके नाम से हिन्द है, उसका इस पर सबसे पहला प्रभाव पड़ता है और यही कारण है कि भारत भी हिन्द महासागर में होने वाली छोटी से छोटी घटना पर ध्यान देता है। धीरे- धीरे इस क्षेत्र में बाहरी हस्तक्षेप तो बढ़ा ही है, साथ ही यहां ऐसी गतिविधियों में भी वृद्धि होती जा रही है, जिन्हें सामान्य नहीं माना जा सकता है। इस क्षेत्र में मानव तस्करी, नशीले पदार्थों की तस्करी व प्रतिबंधित सामानों की आवाजाही के कई मामले सामने आए हैं। भारत की तटीय सीमा 7,500 कि.मी. है, जिस कारण समुद्री और तटीय सुरक्षा के दृष्टि से भी भारत के लिए इस क्षेत्र पर गहन निगरानी आवश्यक है। इसके अलावा हिन्द महासागर क्षेत्र दुनिया भर के लिए सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। आपको बता दें, वैश्विक व्यापार का 78% परिवहन समुद्री क्षेत्र से होता है, जो कुल वैश्विक व्यापार के मूल्य का 70% है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का 90 प्रतिशत (मात्रा में) तथा 70 प्रतिशत (मूल्य के आधार पर) समुद्री मार्ग से संचालित होता है। इसी कारण भारत अपनी तटीय सुरक्षा के साथ समुद्री सुरक्षा के लिए भी कई आवश्यक कदम उठाता रहा है। अतः भारत की सुरक्षा रणनीति में समुद्री सुरक्षा एक महत्त्वपूर्ण अवयव है, क्योंकि किसी भी देश की सुरक्षा नीति में जितनी महत्वपूर्ण उसकी स्थलीय सीमाएं होती हैं, उतनी ही महत्वपूर्ण जलीय सीमाएं भी होती हैं। भारत अपनी जलीय सीमा पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों के साथ साझा करता है।
हिन्द महासागर क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियां
अभी पिछले महीने अप्रैल में भारतीय नौसेना के जहाज INS सुवर्ण ने अरब सागर में गश्त के दौरान समुद्र में मछली पकड़ने वाली एक नाव को संदिग्ध हालत में जाते देखा। नेवी ने अपने कमांडो उतारकर इस नाव की तलाशी ली, तो उसमें से 300 किलोग्राम से ज्यादा नशीले पदार्थ पाए गए। कमांडर विवेक मधवाल ने बताया कि पकड़े गए नशीले पदार्थ (Drugs) की इंटरनेशनल मार्केट में कीमत करीब 3 हजार करोड़ रुपये के आसपास है। अनुमान लगाया गया था कि इस नशीले पदार्थ को भारत, मालदीव और श्रीलंका में सप्लाई किया जाना था। आपराधिक गतिविधियों का यह एक उदाहरण मात्र है।
हालांकि पिछले साल दिसंबर नौसेना की देखरेख में चलने वाले सूचना संलयन केंद्र (आइएफसी) से मिली जानकारी के अनुसार 2020 में हिंद महासागर क्षेत्र आपराधिक गतिविधियों में कमी देखी गई थी। दिसंबर में मादक पदार्थो की तस्करी, पाइरेसी, सशस्त्र डकैती, अनुचित आवागमन और अवैध मछली के शिकार की मात्र 215 घटनाएं दर्ज की गई। रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2020 की तुलना में दिसंबर 2020 में पाइरेसी, सशस्त्र डकैतियों के मामलों में 27 प्रतिशत की कमी देखी गई। इस दौरान अवैध रूप से मछली पकड़ने के मामलों में भी 25 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
कई अपराध बढ़े
रिपोर्ट के मुताबिक, समुद्री डकैतों के हमले के 19 मामले गिनी की खाड़ी (गल्फ) में दर्ज किए गए। किसी महीने में दर्ज किए गए इस तरह के ये सर्वाधिक मामले थे। इसी तरह अदन की खाड़ी के पास डकैती के दो प्रयास और हमले की एक वारदात दर्ज की गई। बांग्लादेश व इंडोनेशिया के बीच डकैती की एक-एक वारदात सामने आई। सुरक्षा एजेंसियों ने मेथामफेटामाइन, गांजा और ड्रग्स की कई खेप बरामद कीं। मलेशिया की सुरक्षा एजेंसी ने तो एक दिन में 2,218 किलो मेथामफेटामाइन जब्त की, जो पिछले 13 सालों में सबसे बड़ी खेप थी। इस दौरान श्रीलंका से तस्करी कर ले जाई जा रही हल्दी की बड़ी खेप बरामद की गई। साथ ही नवंबर 2019 की तुलना में दिसंबर 2020 में अवैध पलायन की घटनाओं में 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
भारत पर दबाव बनाने के प्रयास .
आपराधिक घटनाओं के अलावा अमेरिकी नौसेना ने भारत की पूर्वानुमति के बिना पिछले महीने लक्षद्वीप द्वीपसमूह के निकट भारतीय जलक्षेत्र में नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान शुरू करने की घोषणा की थी। भारत की आपत्ति पर अमेरिका ने कहा था कि नौपरिवहन स्वतंत्रता अभियान में अंतरराष्ट्रीय कानून में निर्धारित समुद्र क्षेत्र के कानूनन इस्तेमाल, अधिकार और स्वतंत्रता को कायम रखा गया है। इसके बाद भारत ने राजनयिक माध्यमों से वाशिंगटन को अपना विरोध दर्ज कराया था।
अभी 20 मई को श्रीलंका सरकार ने कोलंबो पोर्ट सिटी इकनॉमिक कमीशन बिल पास कर दिया है। इसके तहत कोलंबो में एक पोर्ट सिटी का निर्माण चीन को सौंप दिया गया है । जानकारों का मानना है, इस कदम से चीन को दक्षिण एशिया में अपनी स्थिति को और मजबूत करने का मौका मिलेगा। कोलंबो पोर्ट सिटी से भारत के कन्याकुमारी की दूरी सिर्फ 287 किलोमीटर है।
पूर्वी अफ्रीका हो या पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव हो या नेपाल, कुछ बड़े देश हमेशा से ही कर्ज देकर अपना विस्तार करते आए हैं। श्रीलंका पर तो उनकी पैनी नजर है। पोर्ट सिटी हम्बनटोटा को श्रीलंका पहले ही 99 साल की लीज पर चीन को दे चुका है। कोलंबो पोर्ट सिटी के साथ भी 99 साल की लीज की शर्त है। मालदीव भी अपने कर्ज के चलते कई द्वीप लीज पर दे चुका है। समाचार एजेंसियों के मुताबिक यह कर्ज 1.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो मालदीव के सकल घरेलू उत्पाद के एक चौथाई से भी ज्यादा है। कुछ देशों को छोड़ बाकि सभी देशों के साथ पारंपरिक तौर पर भारत के घनिष्ठ सम्बन्ध रहे हैं, लेकिन बाहरी देशों की मौजूदगी ने संतुलन बिगड़ दिया है। हिंद महासागर क्षेत्र में छोटे देशों में अड्डे बनाकर भारत को चारों ओर से घेरने की रणनीति भी देखी जा सकती है।
क्षेत्र में अपराध रोकने और शांति के लिए भारत के प्रयास
वर्ष 2008 से भारत सरकार लगातार समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने की दृष्टि से हिंद महासागरीय क्षेत्र पर विशेष ध्यान दे रही है। 26/11 के हमले के तुरंत बाद भारतीय नौसेना ने गुरुग्राम में इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट ऐंड एनालिसिस सेंटर (IMAC) की स्थापना की थी। इसका प्रबंधन भारतीय नौसेना और तटरक्षक दल मिल कर करते हैं। इस संगठन का विशिष्ट दायित्व ये है कि वो भारत की राष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र जागरूकता को बढ़ाए। इसके लिए आईमैक, भारत के समुद्र तट के आस-पास से गुजर रहे, व्यापारिक जहाजों और मछलियां पकड़ने वाली नौकाओं को ट्रैक करती है।
हिंद महासागर क्षेत्रीय सहयोग संघ के तहत लिए गए निर्णय
वर्ष 2017 की शुरुआत में इंडोनेशिया में इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) की पहली बैठक हुई थी। हिंद महासागर क्षेत्रीय सहयोग संघ (Indian Ocean Rim Association- IORA) एक क्षेत्रीय सांझा मंच है, जिसकी स्थापना 1997 में की गई। हिंद महासागर के सीमावर्ती 22 देश इस संघ के सदस्य हैं। इस बैठक में भारत ने दो प्रमुख घोषणाएं की थीं, जिनके अंतर्गत सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग से अंतरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र जागरूकता को बढ़ाया जाना था। भारत ने कहा था कि वो हिंद महासागर क्षेत्र में इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर की अपने यहां स्थापना करेगा और इसके लिए व्हाइट शिपिंग एग्रीमेंट का प्रयोग करेगा। भारत ने दूसरी घोषणा एक प्रस्ताव के रूप में की थी, जिसके अंतर्गत, भारत के तटीय क्षेत्र स्थित शहर कोच्चि में आईओआरए सेंटर ऑफ एक्सेलेंस (ICE) की स्थापना की जानी थी।
इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर (आईएफसी) का काम
आईएफसी को भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गुरुग्राम में दिसंबर 2018 में IMAC के साथ ही स्थापित किया गया, जिसका संचालन और प्रबंधन भारतीय नौसेना व तट रक्षक दल मिल कर करते है। इसका काम है कि ये द्विपक्षीय समझौतों के दायरे से बाहर जाकर व्हाइट शिपिंग यानि वैध व्यापारिक समुद्री पोतों की आवाजाही के बारे में खुफिया जानकारी जमा करे, उनका समेकन करे और अन्य संगठनों से साझा करे।
इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन के बीच साझा सहमति से इस क्षेत्र के समुद्री खतरों को छह व्यापक भागों में विभाजित किया गया है– समुद्री डकैती/समुद्री चोरी, समुद्री आतंकवाद, प्रतिबंधित तत्वों की तस्करी, अवैध मानव स्थानांतरण, गैरकानूनी तरीके से बिना जानकारी दिए किसी नियम के दायरे से बाहर मछली पकड़ना और और सामुद्रिक घटनाएं। गिनी की खाड़ी, अदन की खाड़ी, अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और दक्षिणी पूर्वी एशिया, ये पांच ऐसे क्षेत्र हैं, जिनको ध्यान में रख कर गुरुग्राम स्थित केंद्र समुद्री सुरक्षा का आकलन और विश्लेषण करते हैं।
सागर : समुद्री सुरक्षा और सहयोग का नया विजन.
हिंद महासागर क्षेत्र में विशेष रणनीतिक बढ़त को हासिल करने के लिये भारत ने वर्ष 2015 में एक रणनीतिक विजन ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region -SAGAR) प्रस्तुत किया। ये हिंद महासागर क्षेत्र में रक्षा और सुरक्षा का भारत का नया विजन है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, भारत ने बेहद महत्वाकांक्षी समुद्र तटीय निगरानी रडार सिस्टम (CSRS) की भी घोषणा की थी।
समुद्र तटीय निगरानी रडार सिस्टम का काम
इस प्रोजेक्ट के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय समुद्र क्षेत्रीय सजगता को रडार नेटवर्क की स्थापना के माध्यम से और व्यापक बनाने का लक्ष्य रखा गया। सीएसआरएस के अंतर्गत सेशेल्स और मॉरीशस में आठ निगरानी रडार, श्रीलंका में छह रडार और मालदीव में दस रडार लगाए जाने हैं, जिनका सीधा संपर्क भारत के तटों पर लगे 50 रडार के सिस्टम से स्थापित किया गया है। इसका प्राथमिक लक्ष्य समुद्र तटीय सुरक्षा करना है, जिसमें छोटे जहाज भी शामिल हैं। ये जहाज छोटे रडार के पारंपरिक नेटवर्क से बच निकलते हैं। अक्टूबर 2019 में बांग्लादेश ने भारत के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए, इसके अंतर्गत दोनों देश समुद्र तटीय निगरानी सिस्टम का विकास करेंगे। ऐसा ही एक समझौता जल्द ही म्यांमार और थाईलैंड से भी होने की संभावना जताई गई थी।
मालदीव में वाणिज्य दूतावास
इसी सप्ताह भारत ने मालदीव में 2021 में एक वाणिज्य दूतावास खोलने का निर्णय लिया है। क्षेत्र में लगातार बढ़ते अन्य देशों के दखल के चलते भारत सरकार का यह फैसला सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस पर रिटायर्ड जनरल दिलावर सिंह कहते हैं कि, ‘इस फैसले से भारत को दक्षिण एशिया में बढ़ते अन्य देशों के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी। भारत की समुद्री सुरक्षा के साथ आंतरिक सुरक्षा भी मजबूत होगी।’ रि. जनरल दिलावर सिंह ने आगे कहा, ‘ भारत साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का देश देश नहीं है, भारत हमेशा छोटे देशों की संप्रभुता का सम्मान करता है और विश्व शांति का हिमायती रहा है, लेकिन भारत अपने क्षेत्र में किसी के अतिक्रमण को भी बर्दाश्त नहीं करेगा।’
क्वाड देशों के साथ सैन्य अभ्यास
आपको बता दें, अभी पिछले महीने हिंद महासागर में क्वाड सदस्य देशों ने सैन्य अभ्यास किया था। इस सैन्य अभ्यास में अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के अलावा फ्रांस ने भी हिस्सा लिया था। इसे हिन्द महासागर में भारत के बढ़ते प्रभुत्व के रूप में देखा गया।