दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को बलात्कार के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम बापू को दोषी ठहराए जाने के पीछे ” सच्ची कहानी ” होने का दावा करने वाली एक किताब के प्रकाशन पर रोक लगाते हुए ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया ।
जस्टिस नजमी वजीरी की सिंगल जज बेंच ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स को किताब के आगे या पीछे के कवर पर एक डिस्क्लेमर लगाने का निर्देश दिया कि सजा के खिलाफ अपील लंबित है । हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स द्वारा दायर याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था , जिसमें ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ” गनिंग फॉर गॉडमैन : द टू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापू के कन्विक्शन ” नामक किताब के प्रकाशन पर से रोक हटाने की मांग की गई थी ।फैसले को वो खारिज कर रहे हैं . हालांकि कोर्ट ने कहा है कि प्रकाशक को इस किताब के शुरुआती या आखिरी पेज पर एक फ्लायर लगाकर पाठकों को ये बताना होगा कि शिल्पी उर्फ संचिता गुप्ता की अपील अभी राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन है . इससे किताब पढ़ने वाले पाठकों को किसी तरह का भ्रम न रहे और उन्हें इस मामले से जुड़ी पूरी जानकारी किताब के माध्यम से मिल जाए .
दरअसल बलात्कार के मामले में आसाराम बापू के साथ साथ उनकी खास शिष्या शिल्पी गुप्ता के खिलाफ भी इस मामले में सजा सुनाई गई थी . किताब पर रोक लगाने के लिए निचली अदालत में याचिका भी संचिता गुप्ता की तरफ से ही लगाई गई थी , जिसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने किताब पर रोक लगा दी थी . संचिता गुप्ता ने अपनी अर्जी में कहा था कि उसके खिलाफ आए फैसले पर अपील विचाराधीन है , इसलिए इस किताब के वितरण और प्रकाशन पर रोक लगनी चाहिए . निचली अदालत ने इस किताब के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाते हुए अपना आदेश दिया कि बलात्कार के मामले में दोषी पाए जाने के खिलाफ आसाराम की अपील अभी राजस्थान हाईकोर्ट में विचाराधीन है . इसलिए इस किताब के प्रकाशन का फैसला नहीं लिया जा सकता .।
