प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि स्वामी विवेकानंद भारत को एक ऐसी सांस्कृतिक चेतना के रूप में देखते थे जो सदियों से जीवंत बनी हुई है । वह देश को एक राजनीतिक या भौगोलिक इकाई से परे एक ‘ जागृत भारत ‘ बनाना चाहते थे ।
आज प्रबुद्ध भारत पत्रिका की 125 वीं वर्ष गांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बहुत ही हर्ष का अवसर है । प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीजी ने पत्रिका का नाम प्रबुद्ध भारत इसलिए रखा था ताकि वह देश की आत्मा को अभिव्यक्त कर सके ।
स्वामी विवेकानंद के लिखे दो पत्रों का उल्लेख करते हुए , प्रधानमंत्री ने गरीबों को सशक्त बनाने के लिए स्वामी जी के दो विचारों का जिक्र किया । उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद चाहते थे कि गरीबों को सशक्त बनने के तमाम अवसर मिलें और साथ ही उनमें ऐसी समझ और दृष्टि विकसित की जाए ताकि वह अपनी बेहतरी का रास्ता खुद तलाश सकें ।
उन्होंने कहा कि आज का भारत इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहा है । जन – धन योजना , जन सुरक्षा योजना के जरिए गरीबों तक बैंक और बीमा योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है । साथ ही आयुष्मान भारत से स्वास्थ्य सुविधाएं गरीबों तक पहुंच रही हैं ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सड़क , शिक्षा , बिजली और इंटरनेट सेवाएं देश के हर कोने तक पहुंचाई गई हैं । इसने लोगों में नई आशाओं का संचार किया है जो देश को विकास के पथ पर ले जा रहा है ।