कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक सात घंटे चलने के बाद सोमवार शाम को खत्म हो गई। इस बैठक में फैसला लिया गया है कि फिलहाल सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। हालांकि, रोजाना के कामकाज में सोनिया गांधी की मदद के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस के दो खेमों में नजर आने की स्थिति बनने के बीच पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारण इकाई सीडब्ल्यूसी की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुई।
बैठक में फैसला हुआ कि अगले छह महीने के बाद फिर से सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई जाएगी। तब तक के लिए सोनिया गांधी ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष रहेंगी। सोनिया गांधी ने बैठक के खत्म होने के समय कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पार्टी फोरम पर ही चिंता व्यक्त करनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस एक बड़ा परिवार है और मैं किसी के खिलाफ कुछ भी नहीं बोल रही। लेकिन सभी, विशेष रूप से वरिष्ठ नेताओं को पार्टी फोरम पर ही अपनी चिंता व्यक्त करनी चाहिए।’
बैठक के बाद पार्टी नेता पीएल पूनिया ने कहा, ‘सदस्यों ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी में विश्वास व्यक्त किया और उनसे पार्टी का नेतृत्व जारी रखने के लिए आग्रह किया। इस पर वह सहमत हो गईं। अगली बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। हो सकता है कि यह छह महीने के भीतर ही बैठक हो, तब तक के लिए सोनिया गांधी ही अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी।’
इससे पहले, सोनिया गांधी ने बैठक में सुबह पद छोड़ने की पेशकश की थी और कहा था कि सीडब्ल्यूसी नया अध्यक्ष चुनने के लिए प्रक्रिया आरंभ करे। सूत्रों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी की बैठक शुरू होने के बाद सोनिया गांधी ने कहा था कि वह अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहती हैं और उन्होंने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को विस्तृत जवाब भेजा है। एक सूत्र ने कहा कि इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने उनसे आग्रह किया कि वह पद पर बनी रहें।
बैठक के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे पर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं पर निशाना साधा और कहा कि जब पार्टी राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में विरोधी ताकतों से लड़ रही थी और सोनिया गांधी अस्वस्थ थीं तो उस समय ऐसा पत्र क्यों लिखा गया
सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश करते हुए कहा कि मुझे रिप्लेस करने की प्रक्रिया शुरू करें। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने उनसे पद पर बने रहने को कहा।
बीते दिनों पार्टी नेतृत्व में बदलाव को लेकर कांग्रेस नेताओं की चिट्ठी पर राहुल गांधी ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि जब सोनिया गांधी हॉस्पिटल में भर्ती थीं, उस वक्त पार्टी लीडरशिप को लेकर लेटर क्यों भेजा गया। पार्टी लीडरशिप में बदलाव की मांग का लेटर भाजपा की मिलीभगत से लिखा गया।
‘भाजपा से मिलीभगत’ के राहुल के आरोपों पर विवाद हो गया। बमुश्किल 20-25 मिनट के अंदर पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट किया, ‘हमने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का केस कामयाबी के साथ लड़ा। बीते 30 साल में कभी भी, किसी भी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम भाजपा के साथ मिलीभगत में हैं?’ कुछ देर बात सिब्बल ने ट्विटर से अपना परिचय बदल दिया और कांग्रेस शब्द को हटा दिया।
थोड़ी ही देर में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि अगर भाजपा से मिलीभगत होने के राहुल गांधी के आरोप साबित हुए तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।
कांग्रेस की पूर्व नेता दिव्या स्पंदना ने कहा कि मुझे लगता कि राहुलजी ने गलती की। उन्हें कहना चाहिए था कि कांग्रेस के नेताओं ने यह चिट्ठी भाजपा और मीडिया के मिलीभगत से भेजी। उन्होंने कहा कि ना केवल मीडिया में चिट्ठी को लीक किया, बल्कि अभी चल रही सीडब्ल्यूसी की बैठक की बातचीत को मीडिया में मिनट टू मिनट लीक भी किया जा रहा है। गजब है।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने दोपहर 1:30 बजे से कहा कि राहुल ने ‘भाजपा के साथ मिलीभगत’ जैसा या इससे मिलता-जुलता एक शब्द भी नहीं बोला था।
भाजपा से मिलीभगत के आरोप पर गुलाम नबी आजाद ने दोपहर 3:50 बजे सफाई दी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने ऐसा कभी नहीं कहा। ना ही सीडब्ल्यूसी में और ना ही इसके बाहर।
शाम 6 बजे बैठक खत्म हो गई। 7 घंटे चली इस बैठक में फैसला लिया गया कि सोनिया ही अभी अंतरिम अध्यक्ष पद का जिम्मा संभालेंगी। 6 महीने के भीतर नया अध्यक्ष चुना जाएगा।
सीडब्ल्यूसी की बैठक से एक दिन पहले रविवार को पार्टी में उस वक्त नया सियासी तूफान आ गया जब पूर्णकालिक एवं जमीनी स्तर पर सक्रिय अध्यक्ष बनाने और संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव की मांग को लेकर सोनिया गांधी को 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से पत्र लिखे जाने की जानकारी सामने आई थी। हालांकि, इस पत्र की खबर सामने आने के साथ ही पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ एवं युवा नेताओं ने सोनिया और राहुल गांधी के नेतृत्व में भरोसा जताया और इस बात पर जोर दिया कि गांधी परिवार ही पार्टी को एकजुट रख सकता है।
सोर्स – लाइव हिन्दुस्तान
