सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी और अन्य सह आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है । न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का कहना है कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आटोपियों को 50,000 रुपये के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए । सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित जेल अथारिटी और रायगढ़ के एसपी को तत्काल आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का अंतरिम जमानत की मांग ठुकराना गलत था । अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ( supreme Court ) ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर राज्य सरकारें व्यक्तियों को टारगेट करती हैं , तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है । कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस सब ( अर्नब के टीवी पर तानो ) को नजरअंदाज करने की नसीहत दी ।
अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा , ” हम देख रहे हैं कि एक के बाद एक ऐसा मामला है जिसमें उच्च न्यायालय जमानत नहीं दे रहे हैं और वे लोगों की स्वतंत्रता , निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं । ” न्यायालय ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि क्या गोस्वामी को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की कोई जरूरत थी क्योंकि यह व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है । पीठ ने टिप्पणी की कि भारतीय लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है और महाराष्ट्र सरकार को इन सबको ( टीवी पर अर्नब के ताने ) नजरअंदाज करना चाहिए ।
उच्चतम न्यायालय ने पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले में सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि इस तरह से किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा । न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं , तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय है ।
गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने उनके और चैनल के खिलाफ दर्ज तमाम मामलों का जिक्र किया और आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार उन्हें निशाना बना रही है । साल्वे ने कहा , ” यह सामान्य मामला नहीं था और सांविधानिक न्यायालय होने के नाते बंबई उच्च न्यायालय को इन घटनाओं का संज्ञान लेना चाहिए था । क्या यह ऐसा मामला है जिसमे अर्णब गोस्वामी को खतरनाक अपराधिकयों के साथ तलोजा जेल में रखा जाए । ” उन्होंने कहा , ” मैं अनुरोध करूंगा कि यह मामला सीबीआई को सौंप दिया जाए और अगर वह दोषी हैं तो उन्हें सजा दीजिये ।
अगर व्यक्ति को अंतरिम जमानत दे दी जाए तो क्या होगा । चार नवंबर को गिरफ्तार किए गए थे अर्नब गोस्वामी गोस्वामी को चार नवंबर को मुंबई में उनके निवास से गिरफ्तार करके पड़ोसी जिले रायगढ़ के अलीबाग ले जाया गया था । उन्हें और दो अन्य आरोपियो को बाद में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया जिन्होंने आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजने से इंकार कर कर दिया था । अदालत ने तीनों को 18 नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था । गोस्वामी को शुरू में अलीबाग जेल के लिए कोविड -19 पृथकवास केन्द्र के रूप में एक स्थानीय स्कूल परिसर में रखा गया था , लेकिन 8 नवंबर को उन्हें रायगढ़ जिले में स्थित तलोजा जेल भेज दिया गया क्योंकि उन पर न्यायिक हिरासत के दौरान मोबाइल फोन के इस्तेमाल का आरोप था ।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
डेमोक्रेसी पर : हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है । महाराष्ट्र सरकार को यह सब नजरअंदाज करना चाहिए ।
आजादी पर : अगर किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाता है , तो यह न्याय का दमन होगा । क्या महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में कस्टडी में लेकर पूछताछ की जरूरत है । हम व्यक्तिगत आजादी के मुद्दे से जूझ रहे हैं ।
SC के दखल पर : आज अगर अदालत दखल नहीं देती है तो हम विनाश के रास्ते पर जा रहे हैं । इस आदमी ( अर्नब ) को भूल जाओ । आप उसकी विचारधारा नहीं पसंद कर सकते । हम पर छोड़ दें , हम उसका चैनल नहीं देखेंगे । सबकुछ अलग रखें ।
राज्य सरकार पर : अगर हमारी राज्य सरकारें ऐसे लोगों के लिए यही कर रही हैं , इन्हें जेल में जाना है तो फिर सुप्रीम कोर्ट को दखल देना होगा ।
हाईकोर्ट पर : HC को एक संदेश देना होगा । कृपया , व्यक्तिगत आजादी को बनाए रखने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल करें । हम बार – बार देख रहे हैं । अदालत अपने अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल में विफल हो रही हैं । लोग ट्वीट के लिए जेल में हैं ।
इस शर्त पर मिली जमानत सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपी सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे । इसके अलावा आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले की जांच के दौरान वो पूरा सहयोग करेंगे ।
2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां ने खुदकुशी कर ली थी । अन्वय की पत्नी ने सुसाइड लेटर में अर्नब का नाम होने के बावजूद कार्रवाई न होने पर सवाल उठाया था । इसके बाद रायगढ़ पुलिस ने अर्नब और दो अन्य लोगों को 4 नवंबर को गिरफ्तार किया था । बाद में अदालत ने इन्हें 18 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था । अर्नब फिलहाल तलोजा जेल में बंद हैं ।
