सुप्रीम कोर्ट में सुदर्शन न्यूज़ के प्रोग्राम बिंदास बोल में चलाए जा रहे यूपीएसी जिहाद कार्यक्रम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा अगर आपको कोई प्रोग्राम पसंद नहीं आता है तो आप मत देखिए, उसकी जगह पर कोई उपन्यास पढ लीजिए आप।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुदर्शन टीवी के हलफनामे पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनसे यह जानकारी मांगी गई थी कि वे अपने कार्यक्रम में क्या बदलाव करेंगे , यह नहीं पूछा था कि किस चैनल ने क्या चलाया ? सुदर्शन टीवी की ओर से वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उन्हें कार्यक्रम के प्रसारण की अनुमति मिले । वे कार्यक्रम के प्रसारण के लिए प्रोग्रामिंग के कोड का पालन करेंगे । कोर्ट ने चैनल द्वारा सभी एपिसोड देखने की पेशकश को भी ठुकरा दिया ।
पूरी याचिका कभी नहीं पढी जाती
जस्टिस चंद्रचूड ने कहा , हम एपिसोड नहीं देखेंगे । अगर 700 पन्नों की किताब के खिलाफ कोई याचिका हो तो वकील कोर्ट में यह दलील नहीं देते कि जज को पूरी किताब पढ़नी चाहिए । मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी । जामिया के तीन छात्रों की ओर से वकील शादान फरासत ने कहा कि लोगों को मुसलमानों के खिलाफ भड़काया जा रहा है । उन्हें आस्तीन का सांप तक कहा जा रहा है । जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि अगर आपको कोई कार्यक्रम पसंद नहीं है तो न देखें , बल्कि कोई उपन्यास पढ़ें । अगर कार्यक्रम किसी जकात फाउंडेशन के खिलाफ है तो हम समय बर्बाद नहीं करेंगे ।
हमने सरकार को दान की जानकारी दी
जकात फाउंडेशन सुदर्शन टीवी के यूपीएससी जिहाद कार्यक्रम से विवादों में आए जकात फाउंडेशन ने सफाई में कहा कि उन्हें दान में मिले 30 करोड़ रुपए में सिर्फ 1.5 करोड़ उन संस्थाओं से मिले हैं , जिन्हें गलत बताया जा रहा है । उन्होंने अपने सभी विदेशी दानदाताओं की जानकारी सरकार को दी है । सरकार ने उन्हें कभी चंदा लेने से मना नहीं किया ।
