सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टेलीविजन के ‘बिंदास बोल’ कार्यक्रम के दो 2 एपिसोड के प्रसारित करने पर रोक लगा दी है। ये एपिसोड आज यानी मंगलवार और कल यानी बुधवार को प्रसारित किया जाना है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि यह मुस्लिम समुदाय को “अपमानित” करने वाला है।
नौकरशाही में मुसलमानों की घुसपैठ के आरोपों पर 2 एपिसोड के प्रसारण पर लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “इस समय, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि यह कार्यक्रम मुसलमान समुदाय के अपमानित करने वाला है।” कार्यक्रम पर उठाई गई आपत्तियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवीआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई 17 सितंबर को करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम पर सवाल उठाते हुए मंगलवार को कहा कि मीडिया में स्वनियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए। इस टीवी कार्यक्रम के प्रोमो में दावा किया गया था कि सरकारी सेवा में मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की घुसपैठ की साजिश का पर्दाफाश किया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने इस कार्यक्रम के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि कुछ मीडिया हाउस के कार्यक्रमों में आयोजित होने वाली बहस चिंता का विषय है क्योंकि इसमें हर तरह की मानहानिकारक बातें कहीं जा रही हैं। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने कहा, ”इस कार्यक्रम को देखिए, कैसा उन्माद पैदा करने वाला यह कार्यक्रम है कि एक समुदाय प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश कर रहा है।”
पीठ ने कहा, ”देखिए इस कार्यक्रम का विषय कितना उकसाने वाला है कि मुस्लिमों ने सेवाओं में घुसपैठ कर ली है और तथ्यों के बगैर ही यह संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को संदेह के दायरे में ले आता है।” सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि पत्रकारों की स्वतंत्रता सर्वोच्च है और प्रेस को नियंत्रित करना किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये घातक होगा।
सुदर्शन टीवी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने पीठ से कहा कि चैनल इसे राष्ट्रहित में एक खोजी खबर मानता है। इस पर पीठ ने दीवान से कहा, ”आपका मुवक्किल देश का अहित कर रहा है और यह स्वीकार नहीं कर रहा कि भारत विविधता भरी संस्कृति वाला देश है। आपके मुवक्किल को अपनी आजादी के अधिकार का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए।”
सोर्स – भाषा
