महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्रालय ने बड़ा फैसला लेते हुए केंद्र सरकार के साथ ‘ जनरल कंसेंट ‘ करार खत्म करने का आधिकरिक पत्र जारी किया है . महाराष्ट्र सरकार के यह करार खत्म होने के बाद अब सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानी सीबीआई को महाराष्ट्र में किसी भी केस की जांच के लिए महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय की इजाज़त लेनी होगी .

केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को अब महाराष्ट्र में कोई भी जांच शुरू करने से पहले राज्य सरकार की इजाजत लेनी होगी । महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को सामान्य सहमति वापस ले ली । फर्जी TRP मामले में CBI के केस दर्ज करने के एक दिन बाद महाराष्ट्र सरकार ने यह आदेश जारी किया । गुरुवार को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि सीबीआई को राज्य में किसी भी जांच के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी । देशमुख का कहना था कि CBI की राजनीतिक उपयोग को लेकर संदेह की स्थिति बन चुकी है । TRP केस में उत्तर प्रदेश में FIR दर्ज होने के बाद इस केस को सीबीआई को ट्रांसफर करने की आशंका बढ़ गई ।उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस विशेष प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा 6 राज्य में जांच के लिए राज्यों को सहमति अनिवार्य करने का अधिकार देती है । पश्चिम बंगाल , आंध्र प्रदेश , सिक्किम जैसे राज्यों ने भी ऐसा आदेश जारी किया है , क्योंकि उन्हें भी CBI के राजनीतिक इस्तेमाल का डर है ।
बीजेपी नेता किरिट सोमैया ने कहा की , ‘ सीबीआई को नो इंट्री . शिवसेना , कांग्रेस और एनसीपी को इतना डर लगता है कि अगर सीबीआई आ गई तो घोटाले बाहर आ जाएंगे . उनकी गुंडा गर्दी रुक जाएगी , कोई भी पत्रकार उनके खिलाफ बोलता है तो उसे जेल में भेज देते है . कोई एक्टिविस्ट बोलता है तो उनके गुंडे मारपीट करते है और इन सबको रोकने के लिए सीबीआई को नो इंट्री . ‘ कानून के जानकारों की माने तो इस फैसले से सीबीआई पर पाबंदी नही लग गई लेकीन उन्हे बिना इजाजत काम करनी की छूट दी गई थी , उसे हटा दिया है . वरिष्ठ वकील उज्वल निकम ने कहा की , कानुनी तौर पर हर राज्य मे सीबीआय को जांच शुरू करने से पहले अनुमती लेना अनिवार्य होता है .
