वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिये केन्द्र सरकार बाजार से कर्ज नहीं उठा सकती है क्योंकि इससे बाजार में कर्ज की लागत बढ़ सकती है . सीतारमण ने कहा यदि राज्य खुद भविष्य में होने वाली जीएसटी प्राप्ति के एवज में बाजार से कर्ज उठाते हैं तो उस स्थिति में ऐसा नहीं होगा .
निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र का प्रस्ताव कानून के दायरे में है . लेकिन अगर कुछ राज्यों को मंजूर नहीं है तो फिर आगे देखते हैं अब क्या समाधान निकलता है . केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करने वाले राज्यों में दिल्ली , केरल , पश्चिम बंगाल , तेलंगाना , छत्तीसगढ़ , तमिलनाडु शामिल हैं .
बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में कमी की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार बाजार से कर्ज नहीं उठा सकती है , क्योंकि इससे बाजार में कर्ज की लागत बढ़ सकती है . जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के जीएसटी राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर अ सहमति नहीं बन पाई . इससे पहले 5 अक्टूबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक हुई थी . इस बैठक के बाद निर्मला सीतारमण ने कहा था कि हम राज्यों को मुआवजे की राशि से इनकार नहीं कर रहे हैं . उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई है . ऐसी स्थिति की पहले किसी ने कल्पना नहीं की थी . मौजूदा हालात इस तरह का नहीं है कि केंद्र सरकार फंड पर कब्जा करके बैठी है , और देने से इनकार कर रही है . फंड उधार लेना होगा .वित्त मंत्री ने कहा कि लग्जरी और कई अन्य तरह की वस्तुओं पर लगने वाले कम्पनसेशन सेस को जून -2022 से भी आगे बढ़ाया जाएगा . यानी कार , सिगरेट जैसे प्रोडक्ट पर कम्पनसेशन सेस आगे भी लगता रहेगा , राज्यों को नुकसान से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है . नियम के मुताबिक यह जीएसटी लागू होने के बाद सिर्फ पांच साल तक लगना था .
निर्मला सीतारमण ने समझाया , “ केंद्र उधार नहीं ले सकता , राज्यों को उधार लेना होगा . ” इसके साथ ही वित्तमंत्री ने राज्यों को 50 साल के लिए 12 हजार करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण देने का ऐलान भी किया है . दरअसल राज्यों के भुगतान के मुद्दे पर चर्चा के लिए परिषद ने तीसरी बार बैठक की , जिसमें वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर , राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री के साथ केंद्र और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में मौजद थे . मैराथन बैठक के बाद केंद्र ने घोषणा की कि वह इस साल कंपनसेसन सेस के रूप में जमा की गई राशि लगभग 20,000 करोड़ रुपए को वितरित करेगा .इसके अलावा 1 जनवरी से 5 करोड़ रुपये से कम वार्षिक कारोबार करने वाले करदाताओं को मासिक GSTR – 1 और GSTR – 3B रिटर्न दाखिल करने की जरूरत नहीं होगी . इसके बजाय , वे अब इसे तिमाही आधार पर भर सकते हैं .।
