हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, में 28 सितम्बर को शहीदे आजम भगत सिंह की 115वी जयंती की संध्या पर ” मेरे भगत सिंह” कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।इस पूरे कार्यक्रम में भगत सिंह की जीवन में घटित घटनाक्रम के बारे चर्चा की गई गई और उनसे आज की युवा पीढ़ी क्या सीख सकती है इस बार अपने विचार रखे गए।

कल पूरे देश भर में आजादी के महान विभूतियों में से एक भगत सिंह की 115 वी जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की इकाई द्वारा इस अवसर पर “मेरे भगत सिंह” कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।इसका उद्देश्य भगत सिंह की जीवन में घटित होने वाली उन तमाम घटनाओं से हमें किस प्रकार से प्रेरणा लेकर हम राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा के साथ साकार कर सकते हैं। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संतोष काशीद शामिल थे, जिन्होंने अपने उद्बोधन में आज के युवा पीढ़ी को कैसे राष्ट्र प्रेम करना चाहिए इसको लेकर उनको प्रेरित किया।भगत सिंह के आखिरी पत्र जिसको उन्होंने अपने दोस्तों के नाम लिखा था ,उसका वाचन करते हुए विश्वविद्यालय के शोधार्थी गौरव चौहान ने कहा कि भगत सिंह ने खत में लिखा, “साथियों स्वाभाविक है जीने की इच्छा मुझमें भी होनी चाहिए. मैं इसे छिपाना नहीं चाहता हूं, लेकिन मैं एक शर्त पर जिंदा रह सकता हूं कि कैंद होकर या पाबंद होकर न रहूं. मेरा नाम हिन्दुस्तानी क्रांति का प्रतीक बन चुका है. क्रांतिकारी दलों के आदर्शों ने मुझे बहुत ऊंचा उठा दिया है, इतना ऊंचा कि जीवित रहने की स्थिति में मैं इससे ऊंचा नहीं हो सकता था. मेरे हंसते-हंसते फांसी पर चढ़ने की सूरत में देश की माताएं अपने बच्चों के भगत सिंह की उम्मीद करेंगी. इससे आजादी के लिए कुर्बानी देने वालों की तादाद इतनी बढ़ जाएगी कि क्रांति को रोकना नामुमकिन हो जाएगा. आजकल मुझे खुद पर बहुत गर्व है. अब तो बड़ी बेताबी से अंतिम परीक्षा का इंतजार है. कामना है कि यह और नजदीक हो जाए” । इस कार्यक्रम के दौरान उन तमाम देशविरोधी गतिविधियों की भी बात की गई जिसमें देश के अंदर रहते हुए देश विरोधी नारे लगाए जाते हैं और देश तोडने की बात की जाती है ।
“मेरे भगत सिंह” कार्यक्रम का आयोजन इकाई मंत्री वरिष्ठ शोधार्थी रवि आर्य के नेतृत्व में किया गया और पूरे कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के शोधार्थी गौरव कुमार ने एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रीति नेगी ने किया ।इस पूरे कार्यक्रम के दौरान विभिन्न वक्ताओं ने भगत सिंह पर अपनी बात रखी और उनसे मिलने वाली तमाम प्रकार की प्रेरणा को हम कैसे अपना सकते हैं इसको लेकर प्रेरित किया । इस दौरान बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं सहित शोधार्थी उपस्थित रहे।
