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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा- नई शिक्षा नीति के अनुरूप बदलाव कर लिए जाते हैं तो भारत एक शिक्षा महाशक्ति बन जाएगा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति परामर्शों की अभूतपूर्व और लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार की गई है। उन्होंने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के सम्बन्ध में राज्यपालों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह शिक्षा नीति 21वीं सदी की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों को विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी। यह केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है। 

राष्ट्रीय अपेक्षाओं और समाधानों को समाहित करती है नई शिक्षा नीति

उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया है कि इस नीति के निर्माण में लगभग ढाई लाख ग्राम पंचायतों, साढ़े बारह हजार से अधिक स्थानीय निकायों तथा लगभग 675 जिलों से प्राप्त दो लाख से अधिक सुझावों को ध्यान में रखा गया है। ऐसी राष्ट्रव्यापी तथा विस्तृत भागीदारी के कारण ये शिक्षा नीति सही मायनों में राष्ट्रीय अपेक्षाओं और समाधानों को समाहित करती है। 

नई शिक्षा नीति के लिए विशेष सराहना के पात्र

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा इस शिक्षा नीति के निर्माण व निर्धारण की विस्तृत व जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने के लिए मैं केंद्रीय शिक्षा मंत्री, राज्य शिक्षा मंत्री, मंत्रालय के सभी अधिकारियों एवं अन्य संस्थानों के लोगों को साधुवाद देता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि इस शिक्षा नीति को वर्तमान स्वरूप प्रदान करने वाले पद्म विभूषण से सम्मानित डॉक्टर कस्तूरी रंगन एवं उनकी टीम के सभी सदस्य विशेष सराहना के पात्र हैं। 

प्रधानमंत्री मोदी को दी विशेष बधाई

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के ऐतिहासिक दस्तावेज को वर्तमान स्वरूप प्रदान करने में उनके दूरदर्शी नेतृत्व एवं प्रेरक भूमिका के लिए प्रधानमंत्री जी को विशेष बधाई दी। उन्होंने कहा राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा के बाद विभिन्न स्तरों और क्षेत्रों में इस पर चर्चा-परिचर्चा होने लगी। शिक्षाविदों, अभिभावकों, विद्यार्थियों व सामान्य लोगों ने इस नीति का स्वागत किया है। उन्होेंने यह भी कहा कि यदि इस नीति के अनुरूप बदलाव कर लिए जाते हैं तो भारत एक शिक्षा महाशक्ति बन जाएगा। 

विश्व परिदृश्य को देखते हुए उन्होंने व्यवसायिक शिक्षा पर जोर देने को कहा। इसके अलावा उन्होंने शिक्षा व्यवस्था के बदलाव में शिक्षकों की केंद्रीय भूमिका की बात कही। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा 2021 तक टीचर एजुकेशन पर नवीन पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। एकीकृत शिक्षण प्रशिक्षण का कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। भारत में व्यवसायिक शिक्षा में तेजी लाई जाएगी। 50 प्रतिशत छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ा जाएगा। व्यवसायिक शिक्षा को मुख्य शिक्षा का ही अंग समझा जाएगा। शिक्षा नीति में त्रिभाषा सूत्र की संस्तुति की गई है। अपनी भाषा से छात्रों में सृजनात्मक क्षमता विकसित होगी। शिक्षण संस्थानों द्वारा छात्रों को भ्रमण पर ले जाया जाएगा। 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संबोधन

तीन दशक में पहली बार देश की आकांक्षाओं से जुड़ी नीति तैयार

प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के सम्बन्ध में राज्यपालों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है। उन्होंने कहा कि तीन दशक में पहली बार देश की आकांक्षाओं से जुड़ी नीति तैयार की गई है जिसका हर ओर स्वागत हो रहा है।

शिक्षा नीति में सरकार का दखल और प्रभाव कम से कम होना चाहिए 

उन्होंने कहा कि केंद्र, राज्य सरकार और स्थानीय निकाय शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से जुड़े होते हैं। लेकिन यह भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल और उसका प्रभाव कम से कम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति से शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के जुड़ने से उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता बढ़ती है।

नई शिक्षा नीति को लागू करना सामूहिक जिम्मेदारी

नई शिक्षा नीति को लागू करना सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह नई शिक्षा नीति को तैयार किया गया है, उसी तरह इसे लागू करने पर व्यापक विचार-विमर्श हो रहा है। उन्होंने राज्यों से विभिन्न स्तरों पर वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित कर सारे संदेहों को दूर करने का आह्वान किया है।

नई शिक्षा नीति अध्ययन के बजाय सीखने पर करती है फोकस

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति अध्ययन के बजाय सीखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर महत्वपूर्ण सोच पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा का प्राचीन केंद्र रहा है और हम इसे 21वीं सदी में भी एक ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति भारत में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के परिसर खोलने का मार्ग प्रशस्त करती है, ताकि आम परिवार के युवा भी उनके साथ जुड़ सकें।

अब बस्तों के बोझ तले नहीं दबेंगे बच्चे 

पीएम मोदी ने कहा कि भाषा हमारी संस्कृति का अहम अंग है लेकिन यह किसी भी प्रदेश पर थोपी नहीं जाएगी। विद्यार्थियों के बस्तों के बोझ के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं। इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से समाधान किया गया है।

अधिक समन्वय की खातिर नई शिक्षा नीति में प्रशासनिक परतें कम से कम

पीएम मोदी ने कहा कोई भी सिस्टम, उतना ही प्रभावी और सम्मिलित हो सकता है, जितना बेहतर उसका गवर्नेंस मॉडल होता है। यही सोच शिक्षा से जुड़ी गवर्नेंस को लेकर भी ये पॉलिसी रिफ्लेक्ट करती है। कोशिश ये की जा रही है कि उच्च शिक्षा के हर पहलू, चाहे वो अकादमिक हो, तकनीकी हो, व्यवसायिक हो, हर प्रकार की शिक्षा को साइलोस से बाहर निकाला जाए। प्रशासनिक परतों को कम से कम रखा जाए, उनमें अधिक समन्वय हो, ये प्रयास भी इस पॉलिसी के माध्यम से किया गया है। 

हर कॉलेज, हर यूनिवर्सिटी के बीच हेल्दी कॉम्पिटीशन

ग्रेडेड ऑटोनॉमी की परिकल्पना के पीछे भी कोशिश यही है कि हर कॉलेज, हर यूनिवर्सिटी के बीच हेल्दी कॉम्पिटीशन को एनकरेज किया जाए और जो संस्थान बेहतर परफॉर्म करते हैं उनको रिवॉर्ड किया जाए। उन्होंने कहा अब हम सभी का ये सामूहिक दायित्व है कि एनईपी-2020 की इस भावना को हम Letter and Spirit में लागू कर सकें। 

21वीं सदी में भारत बने नॉलेज इकॉनोमी

उन्होंने यहा भी कहा कि 21वीं सदी में भी भारत को हम एक नॉलेज इकॉनोमी बनाने के लिए प्रयासरत हैं। नई शिक्षा नीति ने ब्रेन ड्रेन को टेकल करने के लिए और सामान्य से सामान्य परिवारों के युवाओं के लिए भी बेस्ट इंटरनेशनल इंस्टिट्यूशन के कैम्पस भारत में स्थापित करने का रास्ता खोला है।

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