गजट अधिसूचना के अनुसार , राष्ट्रपति ने तीन विधेयकों को मंजूरी दी है , जिनके बाद ये कानून बन गए हैं । ये विधेयक हैं- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य ( संवर्धन एवं सुविधा ) विधेयक , 2020 , किसान ( सशक्तीकरण एवं संरक्षण ) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक , 2020 औरआवश्यक वस्तु ( संशोधन ) विधेयक , 2020
किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज रविवार मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है . किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे लेकिन उनकी अपील किसी काम न आई . तीनों विवादास्पद बिल अब कानून बन गए हैं . साथ ही राष्ट्रपति ने J – K आधिकारिक भाषा बिल 2020 पर भी अपनी सहमति दे दी है . केंद्र की मोदी सरकार में सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल भी इस बिल के विरोध में लगातार मुखर रही . संसद में बिल का विरोध किया , फिर केंद्र में मत्री रहीं हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया . इसके बाद सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं देखने से नाराज अकाली दल ने खुद को अब एनडीए से भी अलग कर लिया . अकाली दल के अलावा कांग्रेस समेत कई अन्य दलों ने लगा कृषि बिल का विरोध किया और राष्ट्रपति से गुजा की थी कि वो इस पर दस्तखत न करें , लेकिन उनकी अपील काम नहीं आई ।
विपक्ष ने राष्ट्रपति से भी इन विधेयकों को वापस लौटाने का अनुरोध किया था । इन विधेयकों का विरोध एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी किया है और उसने खुद को राजग से अलग कर लिया । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते संसद में तीन में से दो विधेयकों के पारित होने के बाद कहा था कि इससे करोड़ों किसानों को ताकत मिलेगी ।
