कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच पंजाब के किसानों ने फिर से फसलों के बचे हुए भागों यानी पराली को जलाना शुरू कर दिया है । रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के अमृतसर में किसान अपने खेतों में पराली जला रहे हैं , जो कि आने वाले समय में दिल्ली समेत कई राज्यों में धुंध का कारण बन सकता है । बता दें कि पराली जलाना भारतीय दंड संहिता और 1981 के वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम के तहत अपराध है लेकिन बावजूद इसके किसानों ने पराली जलाना शुरू कर दिया है ।
गौरतलब है कि महीने भर पहले पंजाब और हरियाणा की सरकारों ने पराली जलाने पर नियंत्रण के लिए अपनी कार्य योजना पर्यावरण प्रदूषण ( रोकथाम और नियंत्रण ) प्राधिकरण ( ईपीसीए ) को सौंपी थी । दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए पराली जलाने से निकलने वाला धुआं भी बड़ा कारक होता है । ऐसे में राज्यों ने पराली के प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक उपकरण खरीदने में असमर्थ किसानों को किराए पर कृषि मशीनें देने के लिए और कस्टम हायरिंग सेंटर ( सीएचसी ) की स्थापना का प्रस्ताव दिया था । इन मशीनों में पराली को दबाकर गांठ में बदल दिया जाता है ।हर साल अक्टूबर – नवंबर के महीने में दिल्ली और उसके आसपास के इलाके भयंकर स्मॉग से ढंक जाते हैं । इसके लिए पंजाब और हरियाणा के उन किसानों को जिम्मेदार ठहराया जाता है , जो अपने खेतों के अवशेषों को खत्म करने के लिए पराली जलाते हैं । खबर है कि पंजाब और हरियाणा के किसानों ने खेतों में पराली जलाने का काम शुरू कर दिया है । हालांकि , किसानों ने इसे सिर्फ अपनी मजबूरी बताया है ।
