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मुंबई के तीन जैन मंदिरों में पर्यूषण पर्व पर प्राथना की अनुमति दी सुप्रीम कोर्ट ने

उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के बारे में बने दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने के साथ मुंबई के तीन जैन मंदिरों में पर्यूषण पर्व पर श्रृद्धालुओं को प्रार्थना की शुक्रवार को अनुमति प्रदान की। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की तीन सदस्यीय पीठ ने मुंबई में तीन जैन मंदिरों में प्रार्थना की अनुमति देने के साथ ही स्पष्ट किया कि ‘गणपति महोत्सव’ के लिए अनुमति देने का निर्णय महाराष्ट्र आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मामला दर मामला के आधार पर करेगा।

पीठ ने कहा, ”महाराष्ट्र में आने वाले गणपति महोत्सव का मामला एकदम भिन्न है और इसे नियंत्रित करना मुश्किल होगा और हम इस स्थिति को समझते हैं लेकिन इस मामले में स्थिति भिन्न है।” पीठ पर्यूषण पर्व पर जैन मंदिरों में प्रार्थना की अनुमति को लेकर बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर 15 से 23 अगस्त के दौरान आठ दिवसीय पर्यूषण पर्व के लिए मुंबई में जैन मंदिरों को खोलने की अनुमति नहीं देने के महाराष्ट्र सरकार के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था।

न्यायालय ने मुंबई के दादर, बायकला और चेम्बूर स्थित जैन मंदिरों में पर्यूषण प्रार्थना की अनुमति देते हुये स्पष्ट किया कि इनके अलावा किसी अन्य जैन मंदिर में पूजा की अनुमति नहीं दी जाएगी। पीठ ने अपने आदेश में कहा, ”हमारे सामने आए याचिकाकर्ताओं ने तीन मंदिरों में प्रार्थना की अनुमति के लिए याचिका दायर की है। सॉलिसीटर जनरल ने निष्पक्ष तरीके से कहा है कि भारत सरकार इसे एक विरोधी मुकदमा नहीं मानती है और अगर याचिकाकर्ता कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करते हैं तो इसमें कोई परेशानी नहीं है।

पीठ ने कहा, ”हम याचिकाकर्ताओं को निर्देश देते हैं कि वे एसओपी का पालन करेंगे। हमारी राय में (याचिकाकर्ताओं का) बयान एक आश्वासन के रूप में है और याचिकाकर्ता इनका पालन करेंगे। दादर, बायकला और चेम्बूर के मंदिरों में पूजा की अनुमति देना जोखिम भरा नहीं होगा।” पीठ ने स्पष्ट किया कि प्रार्थना की अनुमति का आदेश सिर्फ तीन मंदिरों के लिये है और यह दूसरे मंदिरों पर लागू नहीं होगा।

पीठ ने कहा, ”हमारा आदेश दूसरे मंदिरों, जहां बड़ी संख्या में समागम होता है, पर लागू नहीं होगा। गणेश चतुर्थी और अन्य पर्व के बारे में राज्य मामले दर मामले के आधार पर देखेगी।” इससे पहले, पीठ ने शुरू में ही संकेत दिया कि पुरी की जगन्नाथ यात्रा की तरह ही पूजा अर्चना की अनुमति दी जा सकती है बशर्ते याचिकाकर्ता आश्वासन दें कि कोविड-19 के बारे में प्रोटोकाल का पालन किया जायेगा।

न्यायालय ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को प्रत्येक मामले की स्थिति के आधार पर निर्णय लेना होगा और यदि एक समय में जैन मंदिर में पांच व्यक्ति जाते हैं तो इससे कोई परेशानी पैदा नहीं होगी। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि महाराष्ट्र में 40 लाख से अधिक जैन रहते हैं। इनमें से अकेले मुंबई में ही करीब पांच लाख हैं। ऐसी स्थिति में यह मसला कार्यपालिका पर छोड़ दिया जाए क्योंकि उसे सभी के हित ध्यान में रखने हैं।

सोर्स – पी टी आई

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