प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल में बुधवार को कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। मंत्रीमंडल ने चार बड़े फैसले लिए, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण निर्णय राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम मिशन कर्मयोगी को मंजूरी है। इसके अलावा कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी और डोगरी को राजभाषा विधेयक में शामिल करने का निर्णय लिया। साथ ही खनिज क्षेत्र में फिनलैंड के साथ समझौते और गुणवत्तापूर्ण वस्त्रों के क्षेत्र में सहयोग के लिए जापान के साथ एमओयू पत्र को मंजूरी दी गई।
कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय :
1. जम्मू-कश्मीर के लिए राजभाषा विधेयक 2020 लाने का फैसला हुआ है जिसमें उर्दू, कश्मीरी, डोगरी, हिंदी और अंग्रेजी पांच भाषाएं रहेगी। लोगों की मांग पर इसका निर्माण हुआ है।
2. उच्च गुणवत्तापूर्ण वस्त्रों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और जापान के बीच सहमति पत्र को मंजूरी दी गई है। इसके तहत जापानी बाजार के लिए भारतीय वस्त्रों और परिधानों की गुणवत्ता एवं परीक्षण को बेहतर करने के लिएवस्त्र समिति, भारत और मेसर्स निसेनकेन क्वालिटी इवैल्यूएशन सेंटर, जापान के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाने को मंजूरी दे दी है।
यह एमओयूमेसर्स निसेनकेन क्वालिटी इवैल्यूएशन सेंटर, जापान को वस्त्र और परिधान उत्पादों के लिए भारत में अपने सहकारी परीक्षण एवं निरीक्षण सेवा प्रदाता के रूप मेंवस्त्र समिति को निर्दिष्ट करने में सक्षम करेगा। इन वस्त्र और परिधान उत्पादों में तकनीकी वस्त्र के साथ-साथ ऐसाकोई अन्य उत्पाद भी शामिल हो सकेगा जिन पर घरेलू और विदेशी ग्राहकों/खरीदारों दोनों के लिए बाद की किसी तिथि पर परस्पर सहमति व्यक्त की जाएगी।
3. भूविज्ञान और खनिज संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत सरकार के खान मंत्रालय के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभागतथा फिनलैंड के रोजगार और आर्थिक मंत्रालय के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (जियोलॉजियन तुत्कीमुस्केस्कु) के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दी है। यह समझौता ज्ञापन भूविज्ञान, प्रशिक्षण, खनिज पूर्वानुमान और उपयुक्तता विश्लेषण, 3/4 डी मॉडलिंग, भूकंपीय और अन्य भूभौतिकीय सर्वेक्षणों के लिए दोनों संगठनों के बीच वैज्ञानिक सहयोग को मजबूत बनाने की सुविधा प्रदान करता है।
इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य परस्पर आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभ के लिए प्रतिभागियों के बीच भूविज्ञान और खनिज संसाधनों के क्षेत्रों में अन्वेषण और खनन को बढ़ावा देने,भूवैज्ञानिक डेटा प्रबंधन और सूचना प्रसार पर अनुभव साझा करने के लिए परस्पर सहयोग को बढ़ावा देने हेतु एक फ्रेमवर्क और मंच उपलब्ध कराना है।
4. संस्थागत ढांचे के साथ मिशन कर्मयोगी- राष्ट्रीय सिविल सेवा क्षमता विकास कार्यक्रम (एनपीसीएससीबी) को शुरू करने की मंजूरी दी है। ‘मिशन कर्मयोगी’ का लक्ष्य भारतीय सिविल सेवकों को और भी अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अधिक क्रियाशील, प्रोफेशनल, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-समर्थ बनाते हुए भविष्य के लिए तैयार करना है। विशिष्ट भूमिका-दक्षताओं से युक्त सिविल सेवक उच्चतम गुणवत्ता मानकों वाली प्रभावकारी सेवा प्रदायगी सुनिश्चित करने में समर्थ होंगे।
