मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद मराठा समुदाय आक्रामक है । सकल मराठा समाज ने आरक्षण मिलने तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है । वहीं , छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी राजे ने आरक्षण के लिए तलवार तक निकालने की धमकी दे दी । इसके बाद ओबीसी नेताओं में भी उबाल आ गया है । इससे सूबे में मराठा और ओबीसी समाज के बीच आरक्षण को लेकर तलवारें खिंच गई हैं ।मटाठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की टोक के बाद मराठा समुदाय आक्रामक है । सकल मराठा समाज ने आरक्षण मिलने तक आंदोलन जारी रखने का फैसला किया है ।
वहीं , छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी राजे ने आरक्षण के लिए तलवार तक निकालने की धमकी दे दी । इसके बाद ओबीसी नेताओं में भी उबाल आ गया है । इससे सूबे में मराठा और ओबीसी समाज के बीच आरक्षण को लेकर तलवारें खिंच गई हैं । संभाजी राजे ने एक दिन पहले उस्मानाबाद में कहा कि राज्य सरकार हमारे संयम की परीक्षा न ले । मराठा समाज भीख नहीं बल्कि अपना हक मांग रहा है । आवश्यकता पड़ी तो मराठा आरक्षण के लिए हम तलवार भी निकालेंगे । भाजपा सांसद संभाजी राजे ने कहा कि साल 1902 में छत्रपति शाहूजी महाराज ने पहली बार रियासत में आरक्षण लागू किया था
छत्रपति संभाजी राजे के इस बयान के बाद महाराष्ट्र के बड़े ओबीसी नेता एवं खाद्य व आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल और टाहत व पुनर्वास मंत्री विजय वडेट्टीवर ने पलटवार किया है । उन्होंने कहा कि क्या उस तलवार का इस्तेमाल पिछड़ा वर्ग ( ओबीसी ) पर होगा या किसी अन्य समाज पर । उन्होंने कहा कि टाजा किसी विशेष समुदाय का नहीं बल्कि पूटी जनता का होता है । छत्रपति शिवाजी महाराज ने अठारह पगड़ जाति ( सभी पिछड़े वग ) को साथ लेकर लड़ाइयां लड़ी थी । भुजबल एनसीपी के और वडेट्टीवार प्रदेश कांग्रेस में ओबीसी समाज का बड़ा चेहरा हैं । दोनों ने ही एमपीएससी की पटीक्षा रद्द करने का विरोध किया है । साथ ही , ओबीसी समाज को मिल रहे आरक्षण में किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं करने की चेतावनी दी है ।
क्या कहा सभाजीराजे ने
संभाजी राजे ने एक दिन पहले उस्मानाबाद में कहा कि राज्य सरकार हमारे संयम की परीक्षा न ले । मराठा समाज भीख नहीं बल्कि अपना हक मांग रहा है । आवश्यकता पड़ी तो मराठा आरक्षण के लिए हम तलवार भी निकालेंगे । भाजपा सांसद संभाजी राजे ने कहा कि साल 1902 में छत्रपति शाहूजी महाराज ने पहली बार रियासत में आरक्षण लागू किया था , जिसमें मराठा समाज का भी समावेश था । मराठा समुदाय में 80 फीसदी लोग गरीब हैं । लेकिन मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की तरफ से कोई ठोस प्रयास होता नहीं दिखाई दे रहा है ।
