पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच अभी गतिरोध खत्म नहीं हुआ है . हालांकि बैठकों को दौर जारी , जिसके जरिए तनाव को कम करने की कोशिश की जा रही है . इसी कड़ी में 12 अक्टूबर को एक बार फिर भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच बैठक होने वाली है . इससे पहले शुक्रवार को चीनी सेना पीएलए के साथ होने वाली कोर कमांडर स्तर की वार्ता के रणनीति पर चीन अध्ययन समूह ( सीएसजी ) के शीर्ष स्तर के मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों ने बातचीत की और पूर्वी लद्दाख में सुरक्षा हालात का जायजा लिया .
फायर एंड फ्यूरी कॉस के वर्तमान कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह भारत चीन वार्ता में अंतिम बार शामिल हो सकते हैं , क्योंकि उनके उत्तराधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन पहले ही पदभार संभालने के लिए लेह पहुंच चुके हैं । पूर्वी लद्दाख में बदलाव इस साल अप्रैल – मई में हुआ था , जबकि लेफ्टिनेंट जनरल सिंह को पिछले साल अक्टूबर में 14 वीं कोर प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था । उन्हें लंबे परिचालन अनुभव के साथ एक बहादुर अधिकारी माना जाता है । नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस . जयशंकर , राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ( NSA ) अजीत डोभाल , चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत , सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे , और वायु सेना प्रमुख राकेश भदौरिया सहित राजनीतिक और सैन्य नेतृत्वकर्ताओं ने रणनीति को लेकर चर्चा की ।
अबकी बार लद्दाख में टकराव के बिंदुओं से सैनिकों की वापसी के लिए रूपरेखा तैयार करने का विशेष एजेंडा रहेगा . सूत्रों ने बताया कि सीएसजी के शीर्ष मंत्रियों और सैन्य अधिकारियों ने पूर्वी लद्दाख में हालात की समीक्षा की और सोमवार को होने वाली वार्ता में उठाये जाने वाले प्रमुख मुद्दों पर विचार – विमर्श किया .
