वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश के लिए जस्टिस एनवी रमना के नाम की सिफारिश की है। इस पद के लिए उन्होंने केंद्र को जस्टिस एनवी रमण का नाम आगे बढ़ाया है। गौरतलब हो सीजेआई एसए बोबडे 23 अप्रैल 2021 को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, ऐसे में नए चीफ जस्टिस की नियुक्ति तब ही होगी। अगर ऐसा होता है तो जस्टिस रमना का कार्यकाल मुख्य न्यायाधीश के रूप में एक साल और चार महीने का होगा, क्यूंकि उनकी रिटायरमेंट 2022 में होनी है। जस्टिस रमना को जून 2000 में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। फरवरी 2014 में सर्वोच्च न्यायायल के न्यायाधीश बनने से पहले वे दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
26 अगस्त 2022 तक रहेंगे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के पोनावरम में जन्मे जस्टिस रमना अपने शांत और मृदुभाषी स्वभाव के लिए पहचाने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक होगा। इस तरह वह देश के 48वें सीजेआई के रूप में कुल 16 महीने तक इस अहम पद पर रहेंगे। बीते कुछ वर्षों में जस्टिस रमना का सबसे चर्चित फैसला जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का रहा है। इसके अलावा जस्टिस रमना चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी सदस्य रह चुके हैं।
कैसे बनते हैं सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई
नियमों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में सबसे सीनियर जज को ही प्रधान न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किया जाता है। कानून मंत्री सही वक्त पर वर्तमान सीजेआई से उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगते हैं। सीजेआई से सिफारिशी चिट्ठी मिलने के बाद मंत्री इसे प्रधानमंत्री के सामने रखता है जो नियुक्ति को लेकर राष्ट्रपति को जानकारी देते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के बाद सीजेआई के नाम पर मुहर लगती है और फिर राष्ट्रपति उन्हें शपथ दिलाते हैं। चीफ जस्टिस के चयन की प्रक्रिया में कानून मंत्री और प्रधानमंत्री की भागीदारी के साथ कॉलेजियम का भी अहम रोल होता है।