पांच महीने से एलएसी पर चल रही तनातनी खत्म करने के लिए भारत और चीन के कोर कमांडर्स एक बार फिर आज मिलने जा रहे हैं . दोनों देशों के कोर कमांडर्स के बीच ये सातवीं बैठक है . पिछली मीटिंग में दोनों देश एलएसी पर और अधिक सैनिकों की तैनाती ना करने के लिए तैयार हो गए थे . लेकिन इसके बावजूद टकराव की स्थिति अभी भी बनी हुई है .पिछली कोर कमांडर – स्तरीय वार्ता के दौरान , चीनी सेना ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास मुखपारी , रेजांग ला और मगर पहाड़ी क्षेत्रों में कई सामरिक ऊंचाइयों से सैनिकों की वापसी की मांग की थी । 29-30 अगस्त की रात में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की नाकाम कोशिश की थी , जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने सामरिक ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था ।
जानकारी के मुताबिक , दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की सातवीं बैठक एलएसी पर भारत की तरफ चुशूल में होगी . भारत की तरफ से लेह स्थित 14 वीं कोर ( ‘ फायर एंड फ्यूरी ‘ ) के कमांडर , लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की ये आखिरी मीटिंग होगी . क्योंकि 14 अक्टूबर से उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ले रहे हैं . हरिंदर सिंह का अपना कोर कमांडर स्तर का कार्यकाल खत्म हो गया है और अब वे देहरादून स्थित आईएमए यानि इंडियन मिलिट्री एकेडमी के कमांडेंट नियुक्त कर दिए गए हैं . सोमवार को होनी वाली मीटिंग में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में लेफ्टिनेंट जनरल मेनन भी मौजूद रहेंगे .सरकारी सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में भारत की ओर चुशूल सेक्टर में दोपहर 12 बजे से बातचीत चालू होगी । भारत की ओर से इस वार्ता का एजेंडा पूरी तरह से साफ है , जिसमें सभी विवादित इलाकों से सैनिकों का डिस – एंगेजमेंट शामिल है । चाइना स्टडी ग्रुप ( CSG ) , जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , विदेश मंत्री एस जयशंकर , राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल , सीडीएस प्रमुख जनरल बिपिन रावत और तीन सेना के प्रमुख शामिल हैं , ने शुक्रवार को सैन्य वार्ता के लिए भारत की रणनीति को अंतिम रूप दिया । CSG चीन पर भारत की प्रमुख पॉलिसी मेकिंग बॉडी है । सूत्रों ने कहा कि भारत चीन द्वारा पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई रणनीतिक ऊंचाइयों से डिस – एंगेजमेंट प्रक्रिया को शुरू करने के लिए भारतीय सैनिकों की वापसी की किसी भी मांग का पुरजोर विरोध करेगा ।
