इस महामारी में देश की सबसे अधिक सेवा किसी ने की है, तो कह सकते हैं कि वह भारतीय रेलवे है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में उसके पहिये नहीं थमे। फिर चाहे ऑक्सीजन पहुंचाना हो या किसान रेल के माध्यम से सब्जी और फल शहरों तक पहुंचाना, भारतीय रेल अपनी जिम्मेदारियों को सदैव समय पर पूरा करती रही। इसी प्रकार हर तरह की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए भारतीय रेल बड़ा निवेश करने जा रही है। भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मिशन मोड में भारतीय रेलवे अगले कुछ वर्षों में 1,15,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 58 अति महत्वपूर्ण और 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
मुख्य मार्गों पर है अभी बहुत बोझ
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल नेटवर्क का अधिकांश यातायात गोल्डन चतुर्भुज, उच्च घनत्व नेटवर्क मार्गों और अत्यधिक उपयोग किए गए मार्गों पर चलता है। उच्च घनत्व और अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले नेटवर्क मार्ग में भारतीय रेल नेटवर्क की मार्ग लंबाई 51 प्रतिशत है, लेकिन इन मार्गों पर कुल यातायात का 96 प्रतिशत बोझ है।
महत्वपूर्ण और अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं कैसे हुईं तय
यातायात घनत्व, ले जाने वाली सामग्री का प्रकार, रणनीतिक दृष्टि से मार्ग के महत्व के आधार पर तेजी से प्रगति कर रही परियोजनाओं को तत्काल विस्तार के लिए अति महत्वपूर्ण श्रेणी में रखा गया है। इन परियोजनाओं का 60% से अधिक बजट खर्च किया जा चुका है। इस तरह की कुल 58 परियोजनाएं चिन्हित की गई हैं। ऐसी परियोजनाएं, जो अपने अगले चरण में पूरी हो जाएंगी, उन्हें महत्वपूर्ण परियोजनाएं माना गया है। 68 परियोजनाओं को इस श्रेणी रखा गया है। ये सभी सिविल परियोजनाएं विद्युतीकरण तथा सिग्नलिंग कार्य से संबंधित हैं।
पूरा होने पर होंगे कई फायदे
उचित समय पर वित्त पोषण तथा निरंतर निगरानी से इन परियोजनाओं को जल्द पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है ताकि निवेश का लाभ उठाया जा सके। पूरी होने पर यह परियोजनाएं मोबिलिटी, सुरक्षा में सुधार लाएंगी और इन व्यस्त मार्गों पर सवारी और मालगाड़ी चलाने के लिए अतिरिक्त क्षमता का निर्माण करेंगी। गौरतलब है कि जल्द से जल्द पूरी होने वाली चिन्हित परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन को उच्च प्राथमिकता दी गई है।
अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं की कुल लागत है 40 हजार करोड़ रुपए
3,750 किलोमीटर कुल लंबाई वाली 58 परियोजनाओं को अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं के रूप में चिन्हित किया गया है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 39,663 करोड़ रुपए है। ये अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं मल्टी-ट्रैकिंग यानी दोहरीकरण/तीसरी लाइन/चौथी लाइन वाले व्यस्त मार्गों पर हैं। इन परियोजनाओं के पूरी होने पर रेलवे इन घने व व्यस्त मार्गों पर सुरक्षा के साथ तेज गति से अधिक यातायात के संचालन में सक्षम होगा।
27 अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं इसी साल पूरी हो जाएंगी
आपको बता दें, अब तक 11,588 करोड़ रुपए लागत की 29 परियोजनाएं चालू कर दी गई हैं। इन परियोजनाओं के तहत 1,044 किलोमीटर की कुल लंबाई तय की जाएगी। इन परियोजनाओं में से 27 परियोजनाएं दिसंबर, 2021 तक पूरी हो जाएंगी, जबकि 2 और परियोजनाएं मार्च 2022 तक पूरी हो जाएंगी।
6,913 किमी कुल लंबाई होगी महत्वपूर्ण परियोजनाओं की
महत्वपूर्ण परियोजनाएं के तहत कुल 6,913 किलोमीटर लंबाई की 68 परियोजनाओं की पहचान की गई है। इन परियोजनाओं की कुल लागत 75,736 करोड़ रुपये है। आपको बता दें, 1,408 करोड़ रुपये की लागत वाली 108 किलोमीटर लंबी 04 परियोजनाएं अब तक पूरी कर ली गई हैं और शेष परियोजनाओं को मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस वर्ष खर्च किए जाएंगे महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर 15 हजार करोड़ से अधिक रुपए
जैसा कि ऊपर बताया है कि 68 महत्वपूर्ण परियोजनाएं की अनुमानित लागत 75,736 करोड़ रुपए है, जिनमें से 21 मार्च तक 37,734 (लगभग 38,000 करोड़ रुपए) खर्च किए गए हैं। वहीं, इस वर्ष के लिए कुल बजट 14,466 करोड़ रुपए (लगभग 15,000 करोड़) है। बजट की समय पर उपलब्धता और निरंतर समीक्षा के चलते अब तक 4 परियोजनाएं पूरी भी हो चुकी हैं।
पिछले एक वर्ष में 29 अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की
कोविड की चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेलवे पटरियों की क्षमता बढ़ाने के लिए अत्यावश्यक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है। पिछले एक वर्ष में 11,588 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 1,044 किलोमीटर लंबाई की 29 अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं चालू हो गई हैं।
महामारी के बावजूद रेलवे ने किया बेहतरीन काम.
भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान अद्भुत कार्य करते हुए 1,614 किलो मीटर दोहरीकरण/तीसरी/चौथी लाइन चालू की है। वहीं महामारी की स्थिति जस की तस होने के बावजूद भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 133 किलोमीटर दोहरीकरण/तीसरी लाइन चालू की है।
भारतीय रेलवे ने असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कुछ प्रमुख परियोजनाएं पर काम होना है, जिससे रेलवे की क्षमता में और वृद्धि होगी। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
- असम
न्यू बोंगईगांव-गुवाहाटी सेक्शन के ब्रह्मपुत्र नदी पर नारायण सेतु पर दूसरी लाइन ट्रैक चालू होने से इस सेक्शन पर काफी राहत मिलेगी।
- पश्चिम बंगाल
मई 2021 में भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी और चुनाव के बावजूद पश्चिम बंगाल में दो दोहरीकरण परियोजनाओं को शुरू किया। ये परियोजनाएं कटवा-बाजार साऊ और अजीमगंज-बाजार साऊ में चालू की गईं।
कटवा-बाजार साऊ और अजीमगंज-बाजार साऊ: कोयले की आवाजाही के लिए बर्धमान साहिबगंज की ओर आने-जाने वाले यातायात को देखते हुए इस लाइन का दोहरीकरण बहुत महत्वपूर्ण था। एनटीपीसी टीपीएस यानी फरक्का का थर्मल पावर स्टेशन,जो यही निर्माणाधीन है, तक कोयले की पहुंच अब आसान हुई है।
- महाराष्ट्र
जून 21 में भारतीय रेलवे ने महाराष्ट्र में अति महत्वपूर्ण परियोजना भुसावल-जलगांव तीसरी लाइन शुरू की है, जिससे इस सेक्शन की अड़चन दूर हो जाएगी और मामद-खंडवा और भुसावल-उधना सेक्शन में ट्रेन सेवा संचालन के लिए काफी राहत मिलेगी।
- उत्तराखंड
हरिद्वार-लक्सर दोहरीकरण: राजधानी नई दिल्ली से मेरठ, मुजफ्फरनगर और रुड़की होते हुए हरिद्वार तक इस खंड का पूरा मार्ग चालू होने के बाद डबल लाइन जनवरी, 2021 में बन गई है। इससे इस व्यस्त मार्ग पर समयबद्धता में सुधार होगा।
उपरोक्त अति महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भीड़भाड़ वाले मार्गों पर यात्री और माल ढुलाई की सुचारू आवाजाही, ट्रेनों की गति बढ़ाने, नई रेल सेवा शुरू करने, सुरक्षा में वृद्धि के लिए अधिक लाइन क्षमता उपलब्ध होगी क्योंकि इन व्यस्त मार्गों पर रखरखाव मार्जिन उपलब्ध होगा।
