बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने सोमवार को नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात कर राज्य की बाढ़ संबंधी चिंताओं से अवगत कराया। उन्होंने उत्तर बिहार में बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लगातार उठाये जा रहे मुद्दों की ओर विदेश मंत्री का ध्यान आकृष्ट किया और नेपाल से आने वाली प्रमुख नदियों पर नेपाल भू-भाग में हाई डैम बनाने के दशकों से लंबित प्रस्ताव पर कारगर कदम उठाने का आधिकारिक अनुरोध भी किया। मुलाकात के दौरान विदेश मंत ने बिहार की मांगों पर नये सिरे से गौर करने का भरोसा दिया।
संजय कुमार झा ने विदेश मंत्री को बताया कि भौगोलिक स्थिति के कारण बिहार के 28 जिलों को बाढ़ से तबाही झेलने पड़ती है। इस बाढ़ का कारण ऐसी नदियां हैं, जिनका उद्गम स्थल और अधिकतर जलग्रहण क्षेत्र नेपाल में स्थित है। हर साल बाढ़ से बचाव के उपाय, आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्वास के कार्य में बिहार सरकार का हजारों करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, जिससे राज्य के विकास को गति मिल सकती थी।
झा ने बिहार की बाढ़ के दीर्घकालिक समाधान खोजने के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुरोध को दोहराते हुए कहा कि नेपाल से आने वाली कोसी, कमला और बागमती नदियों पर नेपाल भू-भाग में हाई डैम के निर्माण का प्रस्ताव दशकों से लंबित है। हाई डैम के निर्माण की आवश्यकता पर भारत और नेपाल सरकार लंबे समय से सहमत हैं और कई बार 2004 से स्थापित संयुक्त कार्य समिति की बैठकें भी हो चुकी हैं, लेकिन कोई संतोषजनक प्रगति नहीं हो पायी है।
बाढ़ की स्थिति पर पिछले दिनों प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के दौरान भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नेपाल में हाई डैम निर्माण की आवश्यकता, सीमा क्षेत्र में बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों में नेपाल के असहयोगात्मक रवैये और फरक्का बराज के बेहतर संचालन सहित कई मुद्दे उठाये थे। झा ने अनुरोध किया कि विदेश मंत्रालय को इस मामले में कारगर पहल शुरू करना अत्यंत जरूरी हो गया है। मुलाकात के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेपाल से संबद्ध बिहार में बाढ़ के सभी मुद्दों को गंभीरता से सुना और उन पर नये सिरे से सकारात्मक पहल करने तथा जरूरी कदम उठाने का भरोसा दिया।
संजय कुमार झा ने विदेश मंत्री को बताया कि जल संसाधन विभाग, बिहार द्वारा इस वर्ष कोसी, गंडक और कमला नदी के नेपाल भू-भाग में बाढ़ संघर्षात्मक एवं कटाव निरोधक कार्य की 28 योजनाएं प्रस्तावित थीं, लेकिन लॉकडाउन और नेपाल के असहयोगात्मक रवैये के कारण इन योजनाओं पर कार्य काफी विलंब से शुरू हो सका।
उन्होंने बिहार की इस मांग को भी दोहराया कि संयुक्त प्रोजेक्ट ऑफिस, विराटनगर में भारत और नेपाल सरकार के साथ-साथ बिहार सरकार के अधिकारियों को भी प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। उन्होंने सीमा क्षेत्र में बाढ़ संघर्षात्मक कार्य कराने संबंधी नीतियों को जरूरी संशोधन के जरिये और अधिक व्यावहारिक बनाने का अनुरोध भी विदेश मंत्री से किया।
सोर्स – हिन्दुस्थान
