केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश लाई है और इसे जारी कर दिया गया है । प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे , न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस अध्यादेश के बारे में जानकारी दी ।
दिल्ली – एनसीआर ( Delhi – NCR ) में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केंद्र सरकार ने बुधवार को एक नया ऑर्डिनेंस ( Ordinance ) जारी किया है . इस ऑर्डिनेंस के तहत प्रदूषण फैलाने पर पांच साल की जेल और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है . इस ऑर्डिनेंस को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को जारी कर दिया है . इसमें दिल्ली- हरियाणा , राजस्थान , पंजाब , उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता को सुधारने के लिए एक कमीशन नियुक्त करने की बात कही गई है .
इस कमीशन में 18 सदस्य होंगे और एक फुल टाइम चेयरमैन नियुक्त किया जाएगा जो कि राज्य का चीफ सेक्रेटरी या भारत सरकार का सेक्रेटरी होगा . इस कमेटी में 18 में से 10 सदस्य ब्यूरोक्रेट्स होने चाहिए बाकी 8 सदस्य एक्सपर्ट्स और एक्टिविस्ट्स होंगे . इस कमेटी में एक सलेक्शन कमेटी होगी जिसके हेड पर्यावरण मंत्री होंगे . कमेटी में कैबिनेट मंत्री के साथ तीन अन्य मंत्री होंगे . यह सेलेक्शन कमीशन तीन साल के लिए कमीशन के सदस्यों को नियुक्त करेगी .
न्यायालय ने पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण और दिल्ली तथा संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को लोकुर समिति का सहयोग देने का निर्देश दिया था ताकि वह स्वयं पराली जलाए जाने वाले खेतों में जाकर वस्तुस्थिति का जायजा ले सकें । इस समिति को शुरू में हर पखवाड़े अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपने का आदेश दिया गया था ।
