कलवरी श्रेणी के पनडुब्बियों की छठी और आखिरी पनडुब्बी का मझगांव डॉक लिमिटेड के कन्होजी आंग्रे वेट बेसिन में जलावतरण किया गया। इस समारोह में पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एबी सिंह के साथ मैसर्स नेवल ग्रुप फ्रांस के महानिदेशक और फ्रांस की नौसेना कमान के अधिकारियों ने भाग लिया। भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट- 75 के तहत इन पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है। पनडुब्बी अब प्रोपल्शन प्रणाली, हथियार और सेंसर सहित समुद्र में अपनी सभी प्रणालियों के गहन परीक्षणों से गुजरेगी। इन परीक्षणों के पूरा होने के बाद अगले वर्ष पनडुब्बी को भारतीय नौसेना को सौंपना निर्धारित किया जाएगा।
क्या है प्रोजेक्ट- 75
भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट- 75 के तहत कलवरी श्रेणी में आने वाली पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है। कलवरी-श्रेणी में भारतीय नौसेना के लिए बनाई जा रही डीजल-विद्युत से चालित आक्रमणकारी स्वदेशी पनडुब्बियां शामिल हैं। इस परियोजना के तहत भारतीय नौसेना की छह पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है। प्रोजेक्ट- 75 के तहत बन रही पनडुब्बियों में एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP), स्पेशल ऑपरेशन फोर्स (SOF), एंटी-शिप वारफेयर (AShW) शामिल हैं। पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW), सतह-विरोधी युद्ध (ASuW) और भूमि-हमले की क्षमता होने के कारण ये अत्यधिक शक्तिशाली और स्ट्रटीजिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
आत्मनिर्भर भारत के तहत हो रहा निर्माण
मेक इन इंडिया पहल को बढ़ाव देने के लिए सभी छह पनडुब्बियों का निर्माण भारत में किया जा रहा है। इस परियोजना के लिए फ्रांसीसी सहयोगी के रूप में मैसर्स नेवल ग्रुप के साथ समझौता किया गया है। स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण भारत में मैसर्स नेवल ग्रुप द्वारा फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड मुंबई में किया जा रहा है। सैन्य क्षेत्र में भारतीय सेना को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत प्रोजेक्ट 75 का निर्माण बड़ी उपलब्धि है।
स्कॉर्पीन पनडुब्बी की विशेषता
स्कॉर्पीन पनडुब्बियां दुनिया की सबसे उन्नत पारंपरिक पनडुब्बियों में से एक हैं। ये प्लेटफॉर्म दुनिया की नवीनतम तकनीकों से लैस हैं। पहले की पनडुब्बियों की तुलना में यह पनडुब्बियां अधिक घातक और छिपकर, समुद्र की सतह के ऊपर या नीचे किसी भी खतरे को बेअसर करने के लिए शक्तिशाली हथियारों और सेंसरों से लैस हैं। पनडुब्बी में उन्नत स्टील्द विशेषताएं तथा लंबी दूरी की गाइडेड टारपीडो के साथ-साथ एंटी-शिप मिसाइलें भी तैनात हैं। इन पनडुब्बियों में अत्याधुनिक सोनार और सेंसर सूट है जो उत्कृष्ट अभियानगत क्षमताएं प्रदान करते हैं।
चार पनडुब्बियां हो चुकी हैं कमीशंड
भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट- 75 के अंतर्गत निर्मित पनडुब्बियों की पहली पनडुब्बी INS कलवरी को 14 दिसंबर 2017 में नौसेना में कमीशन किया गया था, वहीं INS खंडेरी 28 सितंबर 2019 को नौसेना के बेड़े में शामिल की गई। भारतीय नौसेना ने तीसरी स्टील्थ स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी INS करंज को 10 मार्च 2021 नौसेना डॉकयार्ड मुंबई में औपचारिक कमीशनिंग समारोह में नौसेना के बेड़े में शामिल किया। प्रोजेक्ट-75 की चौथी पनडुब्बी INS वेला की कमीशनिंग 25 नवंबर 2021 को की गई। इसी के साथ वर्तमान में इस परियोजना की चार पनडुब्बियां भारतीय नौसेना की सेवा में कार्यरत हैं।
