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प्रशांत किशोर: एक ऐसा शख्स जिसे राजनीति की दिशा और दशा दोनों की समझ

आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश पंजाब और उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके लिए फिर से सभी पार्टियों ने जहां तैयारी शुरू कर ली है तो दूसरी तरफ एक शख्स है जिसने फिर चर्चाओं में आना शुरू कर दिया है यह वही शख्स है जिसने पहली बार नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में अहम भूमिका निभाई थी और पश्चिम बंगाल विधानसभा जहां ममता बनर्जी पूरी तरह हारती नजर आ रही थी वहां अपने कुशल संचालन और दूरदर्शी सोच से पूरी तरह चुनाव को पलट देने वाले प्रशांत किशोर की है,मास्टरमाइंड प्रशांत किशोर की बात की जाए तो यह कहना गलत नहीं होगा की वे बहुत अच्छे राजनीतिक सलाहाकार और रणनीतिकार है ।

कहा जाता है कि चुनाव जीतने और लोगों की राय को प्रभावित करने में प्रशांत किशोर ने महारत हासिल कर ली है ।

प्रशांत किशोर कई राजनीतिक दलों को अपनी सेवाएँ दे चुके हैं । 2014 में नरेंद्र मोदी के साथ थे और लेकिन हाल ही में उन्होंने ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल में जीत हासिल करने में मदद की है ।

कब की अपने राजनीति करियर की शुरुआत

प्रशांत किशोर ने राजनीति करियर की शुरुआत 2011 में नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री बनाने में अपना पहला योगदान दिया । 2012 में विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी को जीत मिली थी।

साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार और लालू यादव के महागठबंधन के साथ दिखे।

प्रशांत किशोर ने 2017 में बिहार में बहार है नीतीश कुमार है या नारा चुनाव के दौरान ने ही दिया था।

2016 में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के लिए पंजाब के अरविंदर सिंह के लिए पंजाब विधानसभा चुनाव में रणनीति तैयार करने का कार्य किया था । इस वजह से 2016 -17 में वह काफी सुर्खियों में रहे ।

प्रशांत किशोर 2018 में जनता दल यू राजनीतिक पार्टी में शामिल हुए थे।

2021 के बंगाल विधानसभा चुनाव के हीरो का किरदार निभाया। प्रशांत किशोर (TMC) टीएमसी की ओर से रणनीति तैयार करने का काम किया।

जहां भारतीय जनता पार्टी की जीत की लहर बंगाल में हर तरफ से जीत नजर आ रही थी वहीं ममता बनर्जी पार्टी टीएमसी को अपनी कुर्सी छूटती नजर रही थी लेकिन टीएमसी के पास एक बड़ा चुनावी रत्न था प्रशांत किशोर ।

प्रशांत किशोर कारगर साबित होगा शायद ही किसी ने ऐसा सोचा होगा। प्रशांत किशोर लाजवाब रणनीति के चलते टीएमसी (TMC) ममता बनर्जी तीसरी बार बंगाल में अपनी सरकार बना सकी वो भी पूर्ण बहुमत के साथ।

हाथ रखते ही मिलती है कामयाबी

प्रशांत किशोर के समर्थक कहना है कि वो ऐसे व्यक्ति हैं, जो जहाँ हाथ रखते हैं कामयाबी मिलती है। इसके साथ ही उनके आलोचकों का तर्क है कि वो बहुत सावधानी से अपना काम करते है वे सोच विचार कर ऐसे दलों को ही अपने सेवाएँ देते हैं, जिनके जीतने की आसार जायदा हो ।

कहा निश्चित तौर पर वो तो नहीं करूंगा, जो मैं पहले कर रहा था

सूत्रों के अनुसार पशांत किशोर ने अपने विपक्ष के मुख्य नेताओं से मुलाक़ात की है, जिस मुलाकात में कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि प्रशांत किशोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ विपक्ष को एकजुट कर रहे हैं । उनके कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के अनुमान भी लगाए गए हैं ।

बात करने पर पशांत किशोर ने कहा कि ”मैं निश्चित तौर पर वो तो नहीं करूंगा, जो मैं पहले कर रहा था। मेरे पास बहुत से कुछ विकल्प हैं लेकिन मैंने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. ऐसा हो सकता है कि मैं ऐसा काम करूँ, जिसका राजनीति से कोई संबंध न हो। जैसे ही मैं किसी नतीजे पर पहुंच जाओगा इसकी जानकारी दे दी जाएगी ।

बीजेपी इतना ताक़तवर राजनीतिक दल नहीं है, जितना उसे कहा जाता हैं

भारत में आम चुनाव अभी तीन साल दूर हैं इसी बीच
प्रशांत किशोर कहते हैं कि बीजेपी इतनी शक्तिशाली नही है , जितना उसे कहा जाता है ।

राजनीतिक सलाहकार के रूप में कर रहे हैं काम

प्रशांत किशोर एक दशक से राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं। वे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के लिए काम कर चुके हैं।

उनका मानना है कि राजनीतिक रैली में भारी भीड़ का मतलब ये नहीं होता कि नतीजे भी अच्छे होंगे। चुनावों का ख़र्च बढ़ रहा है जिसकी वजह से राजनीति में प्रवेश भी अब आसान नहीं रह गया है। भारत अब एक राजनीतिक समाज बन गया है, जहाँ लोगों का ध्रुवीकरण हो रहा है।

कैसे करती है उनकी टीम काम पढ़े

साल 2015 में प्रशांत किशोर की टीम बिहार के 40 हज़ार गाँवों की समस्याए जानने गई ताकि ये पता लगाया जा सके कि लोगों को क्या मुश्किले आ रही है । बिहार भारत के सबसे ग़रीब राज्यों में से आता है और प्रशांत किशोर की जन्मभूमि भी है ।

बिहार में सबसे बड़ी समस्या ख़राब नालियाँ थीं। हर दूसरे दिन शिकायत नाली से शुरू हुए विवाद को लेकर थी ।

पिछले साल पश्चिम बंगाल के चुनावों के समय प्रशांत किशोर द्वारा एक हेल्पलाइन शुरू करवाया था जिसके जरिए लोग अपनी शिकायत सुना सकते थे। लोगो ने इस हेल्पलाइन पर 70 लाख शिकायत दर्ज़ करवाई ।

जायदातर शिकायतें जाति प्रमाण पत्र और दूसरे प्रमाण पत्रों के मिलने की देरी को लेकर और इससे जुड़े भ्रष्टाचार को लेकर थीं। इन शिकायतों पर एक्शन लेते हुए सरकार ने छह सप्ताह के भीतर 26 लाख प्रमाण पत्र जारी किए।

अपनी कामयाबी के बावजूद प्रशांत किशोर को लगता है कि राजनीति उनका मज़बूत पक्ष नहीं है। वो कहते हैं, ”मैं राजनीति को बहुत अच्छे से नहीं समझता हूँ। मेरी सबसे बड़ी ताक़त व्यावहारिक बुद्धि है और ध्यान से सुनना हू ।मुझे दबाव में काम करना पसंद है ।

लेख – दृति सूरी।

(दृति ने फ़ोटो पत्रकारिता किया हुआ है और वह राजनीतिक, फिल्म जगत में गहन रुचि रखती है और उनके उपर टिप्पणियां करती है)

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