किसान आंदोलन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक प्रोटेस्ट तब तक संवैधानिक है जब तक वह संपत्ति या जीवन को नुकसान नहीं पहुंचाए।चीफ जस्टिस ने कहा- केंद्र और किसानों को बात करनी होगी। हम एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समिति के बारे में सोच रहे हैं, जिसके समक्ष दोनों अपना-अपना पक्ष रख सकें।
चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में कहा- स्वतंत्र समिति में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और अन्य लोग सदस्य के तौर पर हो सकते हैं। इसके अलावा कोर्ट ने किसानों से कहा कि आप इस तरह से एक शहर को ब्लॉक नहीं कर सकते हैं।कृषि कानूनों पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा- दिल्ली को ब्लॉक करने से शहर के लोगों को भूखे रहना पड़ सकता है। आपके (किसानों) उद्देश्य को बात करके पूरा किया जा सकता है, सिर्फ विरोध में बैठने से कोई फायदा नहीं होगा।
गौरतलब है कि कल दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों को हटाने के लिए दायर की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी । जिस दौरान कोर्ट ने संकेत दिया था कि वह एक कमेटी बना सकती है , जिसमें किसान संगठनों के लोग भी होंगे ताकि गतिरोध टूटे और किसानों का धरना समाप्त हो । ये किसान तीन कृषि कानूनों को समाप्त कराने की मांग को लेकर राजधानी की सीमाओं पर पिछले लगभग 21 दिनों से धरना दे रहे हैं । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार जो भी बातचीत कर रही है उसके नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं , यदि समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो यह राष्ट्रीय मुद्दा बन जाएगा । यदि ऐसा हुआ जो कठिनाई आ सकती है । कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सभी किसान यूनियन को पक्ष बनाया जाए । यह आदेश देते हुए मामले को आज गुरुवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था ।
