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पहले मानव महासागर मिशन की शुरुआत के साथ ही महासागर की असीमित संभावनाओं की मिलेगी जानकारी

भारत विगत कुछ वर्षों में महासागरीय और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ा है। केंद्र सरकार के सहयोग से वैज्ञानिक गतिविधियों में भारत का विश्व स्तर पर व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है। भारत 2023 में पहले मानव अंतरिक्ष मिशन “गगनयान” के साथ-साथ पहले मानव महासागर मिशन की शुरूआत एक साथ करने का अनूठा गौरव प्राप्त करेगा। इस बारे में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष और महासागर मानव युक्त दोनों मिशनों का परीक्षण एडवांस स्टेज में पहुंच चुका है और यह उपलब्धि संभवतः 2023 की दूसरी छमाही में प्राप्त कर ली जाएगी।

मानव महासागर मिशन की शुरुआत

भारत के तीन किनारे महासागरों से घिरे हैं, जहां देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती हैं। महासागर मत्स्य पालन, जलीय कृषि और पर्यटन आजीविका देने वाला एक प्रमुख आर्थिक कारक है। भारत सरकार ने समुद्र में और अधिक आर्थिक संभावनाओं को तलाशने के लिए पहले मानव महासागर मिशन की शुरुआत की है। इसके लिए मानवयुक्त पनडुब्बी के 500 मीटर वाले उथले जल संस्करण का समुद्री परीक्षण 2023 की शुरुआत में होने की संभावना है, जबकि मत्स्य 6000 गहरे पानी वाले मानवयुक्त पनडुब्बी, को 2024 की दूसरी तिमाही तक परीक्षण के लिए तैयार हो जाएगा।

क्या है नीली आर्थिक नीति

दरअसल, समुद्र में छिपे हुए खनिज संपदा और समुद्री पानी की तापीय ऊर्जा हमारे देश के विकास को नई आर्थिक ऊंचाइयां प्रदान कर सकती है। ऐसे में केंद्र सरकार पहले से ही कई योजनाओं पर काम कर रही है। डीप महासागर मिशन भी उनमें से एक है, जो महासागर की असीमित संभावनाओं का पता लगाने के लिए तैयार की गई है। समुद्री संसाधनों के सर्वाधिक उपयोग हेतु सरकार “नीली आर्थिक नीति” का अनावरण करेगी, जिससे 2030 तक लगभग 4 करोड़ लोगों को महासागर-आधारित उद्योगों में रोजगार प्राप्त होगा। सरकार महासागरीय संभावनाओं को तलाशने और उसका आर्थिक दोहन कर रोजगार के साधन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार पहले से ही अलग-अलग तरह की योजनाओं को चला रही है।

गहरे समुद्र अभियान को मिली स्वीकृति

पिछले वर्ष यानि 2021 में पीएम मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाने और महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र अभियान को स्वीकृति दी थी। गहरे समुद्र प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के उद्देश्य से “गहरे समुद्र अभियान” पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए 5 वर्ष की अवधि की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए होगी। गहरे समुद्र परियोजना भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था पहल का समर्थन करने के लिए एक मिशन आधारित परियोजना होगी।

नीली अर्थव्यवस्था

नीली अर्थव्यवस्था भारत के आर्थिक विकास कार्यक्रम का महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि भारत का 95 प्रतिशत से अधिक का कारोबार समुद्र के जरिये होता है। भारत सरकार के महत्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम से भारत में समुद्र के जरिये सामान के आवागमन तथा बंदरगाह के विकास में क्रांति आएगी। इस कार्यक्रम के तहत 600 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनमें 2020 तक लगभग 8 लाख करोड़ रुपये का भारी निवेश होगा।

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