नीतीश सरकार में शपथ लेने वाले मेवा लाल चौधरी भ्रष्टाचार को लेकर चौतरफा घिरने के बाद गुरुवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है । उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब भी दिया । उन्होंने कहा कि कोई भी केस तब साबित होता है जब आपके खिलाफ़ कोई चार्जशीट हुई हो या कोर्ट ने कुछ फैसला किया हो । न हमारे खिलाफ अभी कोई चार्जशीट हुई है न ही हमारे ऊपर कोई आरोप दर्ज हुआ है ।
बता दें कि मेवा लाल के शपथ लेने के बाद से ही विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल उनपर हमलावर हो गई थी । आरजेडी ने भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर और उनकी पत्नी की संदिग्ध मौत के मामले में मेवा लाल की कथित संलिप्तता को लेकर जांच की मांग कर रही थी । गौरतलब है कि 2017 में मेवालाल चौधरी पर भागलपुर के सबौर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रहते हुए कॉलेज के नियुक्ति में भ्रष्टाचार करने का आरोप है । उनके ऊपर आरोप है कि कुलपति रहते हुए उन्होंने 161 सहायक प्रोफेसर की गलत तरीके से बहाली की । इस मामले को लेकर उनके ऊपर प्राथमिकी भी दर्ज है ।
इससे पहले गुरुवार की सुबह मेवालाल ने पदभार ग्रहण किया । पद संभालने के बाद मेवालाल ने कहा कि शिक्षा में बदलाव के लिए सरकार ने जो – जो कदम उठाया है उसे आगे बढ़ाएंगे । शिक्षा में बदलाव को लेकर रोडमैप बनाकर काम होगा । शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षा में गुणात्मक सुधार हमारी प्राथमिकता होगी । सिलेबस में जरुरत के हिसाब से संशोधन या बदलाव किया जाएगा । मेवालाल पर हैं ये आरोप तारापुर से निर्वाचित जेडीयू विधायक डॉ मेवालाल चौधरी को पहली बार कैबिनेट में शामिल किया गया है । राजनीति में आने से पहले वर्ष 2015 तक वह भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे । वर्ष 2015 में सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए । इसके बाद जदयू से टिकट लेकर तारापुर से चुनाव लड़े और जीत गए । लेकिन , चुनाव जीतने के बाद डॉ चौधरी नियुक्ति घोटाले में कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामल थाने में वर्ष 2017 में दर्ज किया गया था । इस मामले में विधायक ने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी ।
