देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अमेरिका के एक मंच पर विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत में इकाइयां स्थापित करने वाली विदेशी कंपनियों को सुगमता के साथ व्यापार करने में भारत सरकार हर संभव मदद करेगी। दरअसल सच तो यह है कि सरकार कंपनियों का सहयोग कोरोना काल के पहले से करती आ रही है। उसी का परिणाम ही है कि भारत में विदेशी निवेश 45.15 बिलियन डॉलर से बढ़ कर 74.39 डॉलर हो गया। और यह सब संभव हुआ ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस के लिए अच्छा वातावरण तैयार करने की वजह से।
देश में एफडीआई को बढ़ावा देने और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहायोग बढ़ाने हेतु निवेश पहुंच (आउटरीच) क्रियाकलाप आयोजित किए जा रहे हैं। वर्ष 2014-15 के 45.15 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में भारत में पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में, 74.39 बिलियन अमरीकी डॉलर (अनंतिम आंकड़े) का वार्षिक एफडीआई इनफ्लो दर्ज किया गया जो कि अब तक का सर्वाधिक है।
लोकसभा में सांसद पी.सी. गद्दीगौदर के एक सवाल के जवाब में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि पिछले 6 वित्तीय वर्षों (2014-20) के दौरान भारत को 358.30 बिलियन अमरीकी डॉलर एफडीआई इनफ्लो प्राप्त हुआ जो कि पिछले 20 वर्षों में संसूचित एफडीआई (681.87 बिलियन अमरीकी डॉलर) का 53% है।
उन्होंने कहा, “मेक इन इंडिया पहल को निवेश को आसान बनाने, नवप्रयोग को पोषित करने, उच्च स्तर की विनिर्माण अवसंरचना का निर्माण करने, बिजनेस को आसान बनाने और कौशल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 25 सितम्बर, 2014 में शुरू किया गया था। इस पहल का उद्देश्य निवेश के लिए अनुकूल वातावरण सृजित करना, आधुनिक और सक्षम अवसंरचना, विदेशी निवेश के लिए क्षेत्रों को खोलना और सकारात्मक सोच के जरिए सरकार और उद्योग के बीच भागीदारी को बढ़ाना भी है।”
मेक इन इंडिया 2.0 के तहत 27 क्षेत्रों पर फोकस
वाणिज्य मंत्री ने कहा, “मेक इन इंडिया पहल ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं और वर्तमान में इस मेक इन इंडिया 2.0 के तहत 27 क्षेत्रों पर फोकस किया जा रहा है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग 15 विनिर्माण क्षेत्रों के लिए कार्रवाई योजनाओं का समन्वय कर रहा है जबकि वाणिज्य विभाग 12 सेवा क्षेत्रों के लिए कार्रवाई योजनाओं का समन्वय कर रहा है। भारत सरकार संभावित निवेशकों की पहचान करने के लिए मेक इन इंडिया कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। मेक इन इंडिया के तहत देश में निवेश आकर्षित करने के लिए कार्यक्रम, सम्मेलन, रोड-शो और अन्य प्रचार संबंधी क्रियाकलाप आयोजित करने हेतु विदेशों में भारतीय मिशनों और राज्य सरकारों को सहायता प्रदान की जा रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के लिए उठाए गए कदमों में मौजूदा प्रक्रियाओं को सरल और युक्तिसंगत बनाना शामिल है। देश के निवेश संबंधी वातावरण को बेहतर बनाने के लिए किए गए उपायों के परिणामस्वरूप, विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट (डीबीआर) 2020 के अनुसार विश्व बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत की रैंक बेहतर होकर 63वें पायदान पर पहुंच गई है। यह व्यवसाय शुरु करने, करों के भुगतान, सीमा-पार व्यापार और दिवालियापन के निपटान के क्षेत्र में हुए सुधारों के कारण हुआ है।
सदन में उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में, सरकार ने भारत में घरेलू निवेश को बढ़ावा देने के लिए चल रही योजनाओं के अलावा विभिन्न कदम उठाए हैं। इनमें राष्ट्रीय विनिर्माण पाइपलाइन, कॉरिट कर में कटौती, एनबीएफसी और बैंकों की तरलता संबंधी समस्याओं को कम करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए व्यापार संबंधी नीतिगत उपाय शामिल हैं। भारत सरकार ने सार्वजनिक अधिप्राप्ति आदेश, चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी), विभिन्न मंत्रालयों की उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन योजना के जरिए वस्तुओं के घरेलू विनिर्माण को भी बढ़ावा दिया है।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भारत में निवेश करने वाले निवेशकों को सहयोग, सहायता और निवेशक अनुकूल परिवेश प्रदान करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 जून, 2020 को सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस) के गठन को अनुमोदित किया है और केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच समन्वय से निवेश में तेजी लाने के लिए सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों में परियोजना विकास प्रकोष्ठों (पीडीसी) के गठन को भी अनुमोदित किया है तथा इससे घरेलू निवेश और एफडीआई अंतर्वाह को बढ़ाने के लिए भारत में प्रक्रियाधीन निवेश योग्य परियोजनाओं में वृद्धि होगी।
