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देश की धरती पर उगाई गईं सब्जियां विदेशी थालियों का बढ़ाएंगी स्वाद

आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के मिशन में भारत सरकार को बड़ी सफलता मिली है। भारतीय तो अपने ज्ञान और कौशल का जलवा दुनिया में बिखेर ही रहे हैं, अब विदेशी जमीं पर भी भारत में उगाए गए फलों और सब्जियों का स्वाद छाएगा। उत्तराखंड से कृषि उत्पादों के निर्यात को मिले एक बड़े प्रोत्‍साहन के बाद हरिद्वार के किसानों द्वारा उगाई गई सब्जियों की पहली खेप हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के दुबई को निर्यात की गईं। भेजी गई सब्जियों में करी पत्ता, भिंडी, करेला आदि शामिल हैं। इससे पहले उत्तराखंड में ही उगाए गए बाजरा की एक खेप मई, 2021 में डेनमार्क को निर्यात की गई।

जैविक खेती में भारत सरकार कर रही है किसानों की सहायता

भारत सरकार जैविक खेती में किसानों की सहायता करती रही है। उत्तराखंड कृषि उत्पाद विपणन बोर्ड (यूकेएपीएमबी) तथा जस्ट ऑर्गेनिक (निर्यातक) के सहयोग से कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) ने निर्यात के लिए उत्तराखंड के किसानों से रागी, और झिंगोरा प्राप्‍त एवं प्रसंस्‍कृत किया, जो यूरोपीय संघ के जैविक प्रमाणन मानकों को पूरा करता है। एक अनूठी पहल के जरिये यूकेएपीएमबी जैविक प्रमाणन के लिए हजारों किसानों की सहायता करता रहा है। ये किसान मुख्य रूप से रागी, झिंगोरा, चौलाई आदि जैसे मोटे अनाजों का उत्पादन करते हैं। एपीडा उत्तराखंड में एक पैक हाउस स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने की योजना बना रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ताजे फल और सब्जियों के निर्यात के लिए अनिवार्य आवश्यकता या बुनियादी ढांचे की जरूरत को पूरा करेगा। इसके अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों में निर्यातकों को सुविधा प्रदान करने के लिए, अपीडा ने 2020-21 के दौरान चेन्नई, चंडीगढ़, अहमदाबाद, कोच्चि, जम्मू एवं कश्मीर, भोपाल में विस्तार कार्यालय तथा वाराणसी में प्रोजेक्ट ऑफिस खोला।

1985 में हुई थी एपीडा की स्थापना

एपीडा भारत के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहा है। एपीडा की स्थापना भारत सरकार द्वारा दिसंबर, 1985 में संसद द्वारा पारित कृषि और प्रसंस्कृत उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम के अंतर्गत की गई थी। एपीडा के कार्यों में निर्यात उद्देश्य के लिए अनुसूचित उत्पादों के लिए मानक और विनिर्देश तय करना, निर्यातकों के रूप में व्यक्तियों का पंजीकरण करना, अनुसूचित उत्पादों के निर्यात से संबंद्ध उद्योगों का विकास करना आदि शामिल हैं। एपीडा खाद्य उत्पादों के निर्यात के लिए बाजार संवर्धन गतिविधियां, सूचित निर्णय लेने के लिए मार्केट इंटेलिजेंस, अंतर्राष्ट्रीय अनुभव, कौशल विकास, क्षमता निर्माण और उच्च गुणवत्ता वाली पैकेजिंग के लिए जिम्मेदार है।

वर्ष 2020-2021 में कई क्लस्टरों से फलों और सब्जियों का हुआ निर्यात

वर्ष 2020-2021 में पहली बार कई क्लस्टरों से फलों और सब्जियों का निर्यात हुआ है। उदाहरण के लिए, वाराणसी से ताजी सब्जियों तथा चंदौली से काले चावल का पहली बार निर्यात हुआ है जिससे उस क्षेत्र के किसानों को सीधा लाभ हासिल हुआ है। नागपुर से संतरे, थेनी और अनंतपुर से केले, लखनऊ से आम आदि से भी निर्यात हुए हैं। महामारी के बावजूद, मल्टीमोडल मोड द्वारा ताजी बागवानी ऊपज का निर्यात हुआ और खेपों को इन क्षेत्रों से हवाई जहाज और समुद्र के रास्ते दुबई, लंदन तथा अन्य जगहों पर भेजा गया। अनाज निर्यात का प्रदर्शन भी 2020-21 के दौरान बहुत अच्छा रहा है। हम पहली बार कई देशों को निर्यात करने में सक्षम रहे हैं। उदाहरण के लिए, चावल का तिमोर-लेस्टे, प्यूर्तो रिको, ब्राजील आदि जैसे देशों में निर्यात किया गया है। इसी प्रकार, गेहूं का निर्यात भी यमन, इंडोनेशिया, भूटान आदि देशों में किया गया है और अन्य अनाजों का निर्यात सूडान, पोलैंड बोलिविया आदि को किया गया है।

विश्व के लिए ‘अन्नदाता’ बन रहा भारत

2019-20 में 10,114 करोड़ रुपये के बराबर के निर्यात की तुलना में 2020-21 में भारत ने 11,019 करोड़ रुपये के बराबर के फलों एवं सब्जियों का निर्यात किया, जो 9 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित करता है। 10 जून को जारी किए गए डाटा के अनुसार अनाजों के निर्यात में भारी वृद्धि देखी गई। गैर-बासमती चावल के निर्यात में जहां 136.04 प्रतिशत की वृद्धि हुई, वहीं गेहूं का निर्यात 774.17 प्रतिशत बढ़ गया। अन्य अनाजों (मिलेट, मक्का तथा अन्य मोटे अनाज) के निर्यात में भी 238.28 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली। ये आंकड़े बताते हैं कि भारत सिर्फ ‘आत्मनिर्भर’ ही नहीं हो रहा बल्कि विश्व के लिए ‘अन्नदाता’ के रूप में भी उभर रहा है।

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