दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कुछ दिन पहले तुगलक फरमान जारी करते हुए कहा था कि दिल्ली में आतिशबाजी प्रतिबंधित है,और NGT ने भी यही फरमान जारी किया था, लेकिन शायद मुख्यमंत्री यह भूल गए थे कि ये दिल्ली है और आजकल हिंदू अपने त्यौहार को किस तरह मनाया जाता है सीख गए हैं,बस यही था पूरी दिल्ली पटाखों की आवाज से गूंज उठी और फिर बुद्धिजीवी वर्ग को रोना धोना शुरू हो गया है।
कोरोना वायरस संक्रमण और बढ़ते प्रदूषण के चलते दिवाली के दिन कई दिल्ली समेत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया । हालांकि दीपावली की शाम इन प्रतिबंधों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं । नतीजा ये हुआ कि पहले से खराब दिल्ली की हवा और खराब हो गई और गंभीर स्थित में पहुंच गई । जगह – जगह एक्यूआई बढ़ता चला गया ।गोविंदपुरी , कालकाजी , ग्रेटर कैलाश से लेकर इंडिया गेट तक के इलाके में हवा की गुणवत्ता खराब हुई है । पटाखों के प्रदूषण की वजह से कॉलोनियों में धुएं की चादर पसर गई।सड़कों से लेकर कॉलोनियों में पटाखों की अवैध बिक्री हुई व उन्हे जलाया गया । ग्रीन पटाखों की जगह प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों का अधिक प्रयोग हुआ । इसके बाद दिल्ली – एनसीआर में शनिवार को प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच गया ।
भारतीय मौसम विभाग ( IMD ) के वैज्ञानिकों का कहना है कि बेशक गुरुवार का एक्यूआई थोड़े सुधार के बाद ‘ बेहद खराब ‘ श्रेणी में दर्ज हुआ है लेकिन दिवाली के बाद रविवार तक स्थिति बिगड़ सकती है । पीटीआई के मुताबिक दिवाली की रात 10 तक ओवरऑल एयर क्वालिटी इंडेक्स 454 रहा ।
आसान भाषा में समझिए
आपको बता दें कि नेशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल ( एनजीटी ) ने दिल्ली – एनसीआर में 30 नवंबर तक सभी तरह के पटाखों की बिक्री व उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है । बावजूद इसके दिवाली पर खूब आतिशबाजी हुई । दिल्ली की हवा को साफ करने और प्रदूषण को कम करने के लिए राजधानी के विभिन्न इलाकों में नगर निगम की गाड़ियां पानी का छिड़काव कर रही हैं । ये गाड़ियां प्रदूषण की अधिकता वाले इलाकों के साथ ही भीड़ भरे बाजारों में भी पानी का छिड़काव कर रही हैं । इसी क्रम में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से सदर बाजार इलाके में पानी का छिड़काव किया गया । इसे लेकर मेयर जयप्रकाश ने कहा कि प्रदूषण को कम करने की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है । लेकिन वह सो रही है जबकि हम काम कर रहे हैं ।
