जम्मू-कश्मीर के उधमपुर और गांदरबल जिलों में रविवार रात 9 बजे से 4G इंटरनेट सेवाएं ट्रायल के तौर पर बहाल कर दी गई। 8 सितंबर तक केंद्र सरकार की विशेष टीम दोनों जिलों में निगरानी रखेगी। इसके बाद तय होगा कि राज्य के अन्य जिलों में 4G सेवाएं शुरू की जाएंगी या नहीं? तब तक राज्य के बाकी जिलों में 2G इंटरनेट सेवा ही जारी रहेगी।
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा दोबारा शुरू किए जाने के मामले को देख रही विशेष कमेटी ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि जम्मू और कश्मीर के एक-एक जिले में 4G सेवा ट्रायल बेस पर शुरू की जाए। केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया था। पिछले मंगलवार को सरकार की तरफ से इस बात की जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के इस कदम की प्रशंसा की थी। कोर्ट ने कहा था कि यह काफी हद तक अच्छी शुरुआत है। जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बहाल किए जाने के मामले की सुनवाई जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच कर रही थी। केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जवाब पेश किए।
अटॉर्नीजनरल केके वेणुगोपाल के मुताबिक दो महीने तक नियंत्रित तरीके से दोनों जिलों में सेवाएं जारी रखने के बाद विशेष कमेटी ट्रायल का रिव्यू करेगी। पूरी यूनियन टेरिटरी में सुरक्षा के कारण हाईस्पीड इंटरनेट सेवा नहीं शुरू की जा सकती।
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद हाईस्पीड सेवाएं बंद कर दी गई थीं। तब केंद्र ने विशेष राज्य का दर्जा छीनते हुए जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था।
एक एनजीओ ने जम्मू-कश्मीर में हाईस्पीड इंटरनेट सेवा शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और इस मामले को देखने के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया गया। यह अवमानना की याचिका थी जिसमें कहा गया था कि केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद इंटरनेट दोबारा शुरू किए जाने को लेकर विशेष कमेटी का गठन नहीं किया है।
7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से पूछा था कि कुछ इलाकों में 4G सेवाएं शुरू किए जाने की क्या संभावनाएं हैं। 10 अगस्त को विशेष कमेटी की एक बैठक हुई थी और इसमें सुरक्षा के हालात को ध्यान में रखते हुए हाईस्पीड इंटरनेट सर्विस शुरू करने के विकल्पों पर चर्चा की गई थी। कमेटी ने कहा था कि जिन इलाकों में आतंकवादी घटनाएं कम होती हैं, वहां पर ट्रायल बेस पर ये सेवाएं शुरू की जाएं। कमेटी ने साफ किया था कि इंटरनेशनल बॉर्डर के इलाके में ये सेवाएं ट्रायल बेस पर भी नहीं शुरू की जानी चाहिए
सोर्स – दैनिक भास्कर
